ट्रंप का ‘टैक्स बम’ – ट्रंप प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर 26% का टैरिफ लगाया है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इससे भारत की GDP में 50 से 100 बेसिस पॉइंट की गिरावट आ सकती है और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को भी नुकसान पहुंचेगा। विशेष रूप से अमेरिका का बाजार भारत के लिए बंद हो सकता है।
“मोदी और शाह की लाल आंख दिखाने की रणनीति कहाँ गई? अब चुप क्यों हैं मोदी, अपने दोस्त ट्रंप से कुछ कह क्यों नहीं रहे?”
मोदी सरकार अभी भी अमेरिकी टैरिफ का मूल्यांकन कर रही है, जबकि न ही कोई परोक्ष प्रतिबंध लगाया गया है, और न ही कोई प्रतिक्रिया दी गई है। जबकि कई देशों ने अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाए हैं। एक नजर डालिए…
- चीन ने अमेरिका से आयातित सभी वस्तुओं पर 34% टैरिफ लगा दिया है। साथ ही, 11 अमेरिकी कंपनियों को “अविश्वसनीय इकाइयों” के रूप में नामित कर चीन में उनके संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- कनाडा ने USMCA मानकों को न मानने वाले अमेरिकी वाहनों पर 25% का टैरिफ लगा दिया है।
- यूरोपीय संघ (EU) ने भी अमेरिकी 20% टैरिफ के जवाब में कदम उठाने की तैयारी कर ली है।
भारत की आर्थिक वृद्धि पर अमेरिका के टैरिफ का प्रभाव
- भारत के रत्न और आभूषण, दवा, ऑटोमोबाइल और IT सेवाओं जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ेगा।
- अमेरिका को निर्यात में $30-33 अरब की कमी आने से भारत की GDP में 0.8-0.9% की गिरावट का अनुमान है।
- भारत अपने हीरे के उत्पादन का एक-तिहाई हिस्सा अमेरिका को निर्यात करता है, जिससे हजारों नौकरियों पर खतरा है।
- टाटा मोटर्स और दवा कंपनियों की आय में गिरावट संभव है, क्योंकि अमेरिकी ग्राहकों के लिए कीमतें बढ़ेंगी।
- IT सेवाओं पर टैरिफ का अप्रत्यक्ष असर भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग पर पड़ेगा, खासकर अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी होती है।
ट्रंप का ‘टैक्स बम’ जनता पर बोझ
- स्टील, एल्युमिनियम और अन्य कच्चे माल पर अधिक टैरिफ से भारत में उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिससे वाहन और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे उत्पाद महंगे होंगे।
- निर्यात आय में गिरावट से रुपया कमजोर होगा, जिससे तेल और इलेक्ट्रॉनिक जैसे आवश्यक वस्तुओं के आयात महंगे होंगे। इससे उपभोक्ताओं पर ईंधन और उत्पादों की कीमतों के रूप में अप्रत्यक्ष बोझ पड़ेगा।
- हीरे और वस्त्र जैसे निर्यात-निर्भर उद्योगों में नौकरियों में कटौती संभव है, जिससे घरेलू आय और उपभोक्ता खर्च पर असर पड़ेगा।
26% टैरिफ से शेयर बाजार में हाहाकार
भारत पर अमेरिका द्वारा 26% टैरिफ लगाने से शेयर बाजार में खलबली मच गई। सेंसेक्स 3,300 अंक गिरा, निफ्टी 21,800 से नीचे चला गया और मात्र 5 मिनट में 19 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
हालांकि भारत और कुछ अन्य देशों को 90 दिनों की अस्थायी राहत मिली है, लेकिन यह राहत अल्पकालिक है। अमेरिका जल्द ही 20-26% के भारी टैरिफ फिर से लागू कर सकता है, विशेष रूप से स्टील और एल्युमिनियम जैसे क्षेत्रों में। भारत सरकार के पास इस आर्थिक झटके से निपटने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं दिख रही है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार संबंधों और घरेलू उद्योगों को लेकर चिंता बढ़ रही है।
मोदी सरकार से सवाल:
- क्या ट्रंप से दोस्ती निभाने के लिए आप भारतीय अर्थव्यवस्था को तबाह कर देंगे?
- लाल आंख दिखाने का वादा कहाँ गया? अब ट्रंप के सामने चुप्पी क्यों?
- 26% टैरिफ से GDP गिरी, मोदी-शाह की रणनीति इतनी लाचार क्यों?
- जब चीन और कनाडा ने पलटवार किया, तो मोदी सरकार टैरिफ युद्ध से क्यों भाग रही है?
- 19 लाख करोड़ का शेयर बाजार नुकसान, और मोदी जी अभी भी ट्रंप को दोस्त कहते हैं?
- हीरा, IT, ऑटो इंडस्ट्री संकट में, मोदी जी की ट्रंप से दोस्ती कितने दिन चलेगी?
- ट्रंप ने US मार्केट के दरवाजे बंद किए, अब मोदी जी की अगली योजना क्या है?
- निर्यात गिरा, नौकरियां गईं, मोदी जी अब भी ट्रंप को भाई क्यों मानते हैं?
- ट्रंप ने 26% टैरिफ मारा, मोदी जी की ‘ब्रोमांस’ अब कहाँ है?
अगर आप चाहें तो मैं इस लेख का पीडीएफ भी बना सकता हूँ या इसमें किसी विशेष शैली/फॉर्मेटिंग के साथ बदलाव कर सकता हूँ।