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राहुल गांधी का पीएम मोदी को पत्र: “दलित-OBC छात्रों के हॉस्टल सुधारे जाएं

Rahul Gandhi wrote a letter to PM Modi
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Rahul Gandhi wrote a letter to PM Modi: 10 जून 2025: विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के छात्रों की शिक्षा में आ रही बाधाओं को लेकर चिंता जताई है, उन्होंने दो प्रमुख मांगें उठाई हैं—पहली, दलित, ओबीसी, ईबीसी, एसटी और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रावास की बदहाल स्थिति को सुधारा जाए, और दूसरी, पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप में हो रही देरी को तुरंत रोका जाए.

Rahul Gandhi wrote a letter to PM Modi: छात्रावास की हालत ख़राब

राहुल गांधी ने पत्र में लिखा कि उन्होंने हाल ही में बिहार के दरभंगा स्थित अंबेडकर छात्रावास का दौरा किया था, जहां उन्हें छात्रों से कई गंभीर समस्याओं की जानकारी मिली, उन्होंने बताया कि एक कमरे में 6-7 छात्र रहने को मजबूर हैं, शौचालय गंदे हैं, पीने का  साफ नहीं है और मेस की सुविधाएं भी नाम मात्र की हैं.

स्कॉलरशिप मिलने में देरी छात्रों के लिए एक बड़ी समस्या

राहुल ने आगे लिखा कि स्कॉलरशिप मिलने में देरी छात्रों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है, बिहार में स्कॉलरशिप पोर्टल तीन साल तक निष्क्रिय रहा और 2021-22 में किसी छात्र को छात्रवृत्ति नहीं मिली,” उन्होंने पत्र में लिखा, राहुल गांधी ने यह भी दावा किया कि 2023 में स्कॉलरशिप पाने वाले दलित छात्रों की संख्या 1.36 लाख थी, जो 2024 में घटकर केवल 69,000 रह गई है.

राहुल गांधी ने पीएम मोदी से इन व्यवस्थागत खामियों को दूर करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है. उनका कहना है कि जब तक सामाजिक रूप से वंचित तबके के छात्र आगे नहीं बढ़ेंगे, तब तक भारत की समग्र प्रगति अधूरी रहेगी.

Rahul Gandhi wrote a letter to PM Modi: बिना अनुमति दरभंगा पहुंचे राहुल गांधी

गौरतलब है कि राहुल गांधी 15 मई को दरभंगा के अंबेडकर छात्रावास पहुंचे थे, जहां उन्होंने ‘शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम के तहत छात्रों से बातचीत की, प्रशासन ने उन्हें छात्रावास में प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी और टाउन हॉल में बातचीत की सलाह दी थी, लेकिन राहुल बिना अनुमति छात्रावास पहुंच गए और करीब 12 मिनट तक छात्रों से बातचीत की.

आर्थिक लाभ कुछ ही प्रतिशत लोगों के पास जा रहा

इस दौरान राहुल गांधी ने कहा था, “देश की 90% आबादी के पास सत्ता और संसाधनों तक पहुंच नहीं है, ब्यूरोक्रेसी, मेडिकल, शिक्षा व्यवस्था में इन तबकों की हिस्सेदारी शून्य के बराबर है, जबकि मनरेगा और मजदूरी जैसी सूचियों में ये तबका पूरी तरह से भरा हुआ है, सारी ठेकेदारी और आर्थिक लाभ कुछ ही प्रतिशत लोगों के पास जा रहा है.

राहुल गांधी की इस पहल को सामाजिक न्याय के मुद्दे को राजनीतिक विमर्श में केंद्र में लाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस पत्र पर क्या प्रतिक्रिया देता है.

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