MP Buffalo Scam: 26 जून 2025: बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले की तर्ज पर अब मध्य प्रदेश में एक नया घोटाला सामने आया है — ‘भैंस घोटाला’, सरकार की योजना थी कि बैगा और सहरिया आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें भैंसें दी जाएंगी, लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली, आदिवासियों के नाम पर जो भैंसें बंटी थीं, वह अब गांव के दबंगों के बाड़ों में बंधी मिल रही हैं, और दूध-मलाई पर उनका कब्जा है.
योजना सरकार की , लेकिन हक दूसरों का
सरकार की योजना के तहत दो-दो भैंसें आदिवासी परिवारों को दी गई थीं, कागजों पर योजना पूरी तरह लागू है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके ठीक उलट है, उदाहरण के तौर पर काकर गांव के जसवीर आदिवासी को दो भैंसें मिली थीं, लेकिन जब टीम उनके घर पहुंची तो वहां कोई भैंस नहीं मिली। पूछने पर उन्होंने बताया कि “भैंसे फॉर्म में हैं, और जब पूछा गया कि फार्म किसका है तो जवाब मिला – “सरदार का.
MP Buffalo Scam: भैंसें हैं… मगर रसूखदारों के बाड़े में!
NDTV के पास पशुपालन विभाग द्वारा जारी 75 लाभार्थियों की सूची थी, जब इन लोगों के घर जाकर जांच की गई, तो 60 से अधिक लोगों के यहां भैंसें नहीं मिलीं, कुछ लोगों ने कहा कि उनके पास जगह नहीं है, इसलिए भैंसें सरदारों को दे दीं, असल में, गांव के दबंगों ने फार्म भरवाकर, दस्तावेज़ इकट्ठा कर और अंशदान की राशि खुद भरकर सारी प्रक्रिया पूरी कर दी, भैंस सरकारी योजना की थी, नाम आदिवासी का था, लेकिन कब्जा रसूखदारों का.
प्रशासन हरकत में, जांच के आदेश
जब पत्रकारों ने प्रशासन से सवाल किए, तो आनन-फानन में जांच टीम का गठन कर दिया गया। पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. बी.पी. यादव ने कहा कि शिकायतों की जांच की जा रही है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पहले भी ऐसी शिकायतें सामने आई थीं और उस समय भी कार्रवाई हुई थी.
MP Buffalo Scam: क्या ऐसे बनेगा ‘आत्मनिर्भर आदिवासी’?
सरकार भले ही आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाने का दावा कर रही हो, लेकिन मौजूदा तस्वीर कुछ और ही कहती है,26 आदिवासी सिर्फ नाम के मालिक हैं, और असली फ़ायदा वो उठा रहे हैं जिनके पास पहले से ही संसाधन और सत्ता है, अब सवाल ये है कि आत्मनिर्भर कौन बना? आदिवासी, दबंग या वो भैंस जो खुद तय कर लेती है किसके घर जाना है?