ECI Bihar Election, नई दिल्ली, 17 जून 2025: अब देश के हर मतदान केंद्र पर कैमरे की नजर होगी, लेकिन आम लोग ये नहीं देख पाएंगे। चुनाव आयोग (EC) ने ऐलान किया है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग अनिवार्य होगी, ताकि मतदान प्रक्रिया की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
अब तक देशभर में करीब 50% पोलिंग स्टेशनों पर ही वेबकास्टिंग की व्यवस्था थी। लेकिन अब यह हर बूथ पर की जाएगी, बशर्ते वहां इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध हो। जिन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी नहीं है, वहां वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी जैसे वैकल्पिक उपाय अपनाए जाएंगे।
हालांकि इस बार एक बड़ा बदलाव यह है कि इन कैमरों से मिलने वाला डेटा आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं होगा। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि ये फुटेज केवल आयोग के आंतरिक उपयोग के लिए होगा।
ECI Bihar Election: हर स्तर पर बनेगा मॉनिटरिंग रूम
चुनाव आयोग ने बताया कि राज्य, जिला और विधानसभा स्तर पर वेबकास्टिंग मॉनिटरिंग कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे। इनके संचालन के लिए प्रत्येक स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे जो निगरानी की जिम्मेदारी संभालेंगे।
क्या है फुटेज ‘गोपनीय’ करने का कारण?
पिछले साल केंद्र सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए चुनावी वेबकास्टिंग, CCTV और वीडियोग्राफी जैसे रिकॉर्ड सार्वजनिक करने से रोकने के प्रावधान किए थे।
20 दिसंबर 2024 को कानून मंत्रालय ने चुनाव आयोग की सिफारिश पर ‘द कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961’ के नियम 93(2)(A) में संशोधन किया। पहले जहां चुनावी दस्तावेज़ ‘सार्वजनिक’ माने जाते थे, अब उसमें ‘नियमानुसार’ शब्द जोड़ दिया गया है।
यानी अब सिर्फ वही दस्तावेज सार्वजनिक माने जाएंगे जिनका जिक्र नियमों में है। CCTV फुटेज या वेबकास्टिंग रिकॉर्ड उसमें शामिल नहीं है।
कांग्रेस ने इस बदलाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया है कि सरकार जानबूझकर पारदर्शिता खत्म करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष, मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा की “पहले सरकार ने CJI को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से हटाया, अब चुनावी जानकारी छिपा रही है। ये लोकतंत्र के खिलाफ साजिश है।”
ECI Bihar Election: क्यों हुआ नियमों में बदलाव?
अधिकारियों के मुताबिक, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद यह बदलाव किया गया। कोर्ट ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़े दस्तावेज याचिकाकर्ता को साझा करने के निर्देश दिए थे, जिसमें CCTV फुटेज भी शामिल था।
चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड जैसे CCTV फुटेज या वेबकास्टिंग ‘कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स’ के अंतर्गत नहीं आते। लेकिन नियमों की अस्पष्टता की वजह से ये मांगे जा रहे थे। इसीलिए नियमों में स्पष्ट संशोधन कर दिया गया कि सार्वजनिक केवल वही दस्तावेज होंगे जिनका नियमों में स्पष्ट उल्लेख है।
एक अधिकारी ने कहा, “ये कदम इसलिए जरूरी था ताकि कोर्ट या अन्य माध्यमों से ऐसे रिकॉर्ड को सार्वजनिक कराने की कोशिशों पर रोक लगाई जा सके।”
चंडीगढ़ मेयर चुनाव बना था बदलाव की वजह
ECI Bihar Election: जनवरी 2024 में चंडीगढ़ मेयर चुनाव में हुए फर्जीवाड़े का CCTV वीडियो सामने आया था। इसमें चुनाव अधिकारी अनिल मसीह को बैलट पेपर पर छेड़छाड़ करते देखा गया।
AAP और कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार को हराने के लिए 8 वोट ‘इनवैलिड’ कर दिए गए थे। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां उस समय के CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद वीडियो देखने के बाद टिप्पणी की थी:
इस मामले में पूर्व CJI, डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था की, “वीडियो से साफ है कि चुनाव अधिकारी ने बैलट पेपर को जानबूझकर खराब किया। क्या इस तरह चुनाव कराए जाते हैं? यह लोकतंत्र की हत्या है।”
कोर्ट ने उन 8 वोटों को वैध मानते हुए गठबंधन प्रत्याशी को मेयर घोषित कर दिया था।
इस घटना ने यह दिखा दिया कि CCTV फुटेज कितना महत्वपूर्ण साक्ष्य हो सकता है। मगर अब ऐसे रिकॉर्ड आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं होंगे।
अब क्या?
हालांकि यह व्यवस्था उम्मीदवारों के लिए बरकरार रहेगी। वे CCTV या वेबकास्टिंग फुटेज मांग सकते हैं, लेकिन आम नागरिकों को इसके लिए कोर्ट का रुख करना होगा।
चुनाव आयोग का कहना है कि निगरानी की प्रक्रिया मजबूत की जा रही है, लेकिन डेटा को लेकर नियंत्रण जरूरी है ताकि किसी तरह की गलत जानकारी फैलने से रोका जा सके।
मतदान प्रक्रिया की निगरानी के लिए अब हर बूथ पर कैमरे होंगे, लेकिन चुनावी पारदर्शिता के नाम पर जनता को मिलने वाली जानकारी अब सीमित हो गई है। तकनीक का उपयोग अब सिर्फ निगरानी तक सीमित रहेगा, लोकतंत्र में हिस्सेदारी के नाम पर नहीं।