बालाघाट, 02 मई 2025: नौ दिन पहले बालाघाट जिले के दुगलाई गांव में एक शादी समारोह से लौट रही चार आदिवासी नाबालिग लड़कियों के साथ सात लोगों द्वारा सामूहिक बलात्कार की घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। इस जघन्य अपराध के बाद विपक्ष ने एक बार फिर मध्यप्रदेश में महिला सुरक्षा और आदिवासी उत्पीड़न का मुद्दा जोर-शोर से उठाया है। पुलिस ने सभी सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ POCSO एक्ट सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
उमंग सिंघार का मुख्यमंत्री को पत्र
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर पीड़िताओं को त्वरित न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पांच अहम मांगें रखी हैं। सिंघार ने 23 अप्रैल की रात हुई इस अमानवीय घटना के बाद पीड़िताओं के परिजनों से मुलाकात की और उनके दर्द को साझा किया। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि मध्यप्रदेश में आदिवासी, दलित और अन्य महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध चिंता का विषय हैं, और इनके खिलाफ कठोर कदम उठाने की जरूरत है।
पांच मांगें: फास्ट ट्रैक कोर्ट से लेकर विशेष टास्क फोर्स तक
उमंग सिंघार ने अपने पत्र में निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
- फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई: इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो ताकि दोषियों को जल्द से जल्द कड़ी सजा दी जा सके।
- विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति: अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण और POCSO मामलों में अनुभवी विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया जाए।
- आर्थिक सहायता: पीड़िताओं को कम से कम एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
- सुरक्षा व्यवस्था: पीड़िताओं और उनके परिजनों की सुरक्षा के लिए गांव में स्थायी पुलिस बल तैनात किया जाए ताकि उनकी गरिमा और सुरक्षा बनी रहे।
- विशेष कार्यबल का गठन: आदिवासी और दलित महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाए।
बालाघाट गैंगरेप आदिवासी उत्पीड़न और महिला सुरक्षा पर सवाल
सिंघार ने अपने पत्र में मध्यप्रदेश में आदिवासी और दलित समुदायों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है, बल्कि समाज में व्याप्त असमानता और कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनहीनता को भी उजागर करती है।
बालाघाट गैंगरेप पुलिस कार्रवाई: सभी आरोपी गिरफ्तार
हट्टा थाना क्षेत्र के दुगलाई गांव में हुई इस घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। मामला POCSO एक्ट और अन्य संगीन धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि गिरफ्तारी पर्याप्त नहीं है; पीड़िताओं को त्वरित न्याय और सुरक्षा की गारंटी जरूरी है।
यह घटना मध्यप्रदेश में महिला सुरक्षा और आदिवासी अधिकारों को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े करती है। उमंग सिंघार की मांगों पर सरकार किस तरह प्रतिक्रिया देती है, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। फिलहाल, पीड़िताओं और उनके परिजनों को समाज और प्रशासन से हर संभव सहयोग की जरूरत है।