MP OBC Reservation: 4 july 2025: मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27% आरक्षण देने के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है, सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से 4 जुलाई तक विस्तृत जवाब मांगा था, अब राज्य सरकार शीर्ष अदालत के सामने यह स्पष्ट करेगी कि क्या ओबीसी आरक्षण बढ़ाने से राज्य में कुल आरक्षण 50% की संवैधानिक सीमा को पार करेगा या नहीं.
मामला 2019 का है, जब तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का कानून विधानसभा में पारित किया था, इसके बाद से यह मामला कानूनी पेच में उलझा हुआ है और अभी तक राज्य में यह प्रावधान लागू नहीं हो पाया है.
क्या है मामला?
- 2019 में कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% कर दिया था, जिससे राज्य में कुल आरक्षण बढ़कर 63% हो गया
- हाईकोर्ट ने रोक लगाई: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मेडिकल पीजी एडमिशन में इस बढ़े हुए आरक्षण पर रोक लगा दी थी
- सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप: 2024 में हाईकोर्ट में लंबित सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास स्थानांतरित कर ली थीं
- फिलहाल चल रही व्यवस्था: जब तक सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला नहीं देता, राज्य में सरकारी नौकरियों और एडमिशन में 87:13 के फॉर्मूले के तहत ही प्रक्रियाएं चल रही हैं
MP OBC Reservation: आज की सुनवाई क्यों अहम है?
सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या 27% OBC आरक्षण लागू करने से संविधान द्वारा तय 50% आरक्षण सीमा का उल्लंघन होता है, यदि कोर्ट यह मानता है कि यह सीमा बाध्यकारी नहीं है, तो वह राज्य सरकार को यह आरक्षण तुरंत लागू करने की अनुमति दे सकता है, इस मामले में याचिकाकर्ता OBC वर्ग से हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह 2019 में पारित कानून को लागू करने का आदेश दे.
MP OBC Reservation: वैधानिक पहलू क्या कहते हैं?
संविधान में 50% आरक्षण की सीमा का उल्लेख है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी केस (1992) में निर्धारित किया था, हालांकि कुछ मामलों में अदालतों ने यह कहा है कि विशेष परिस्थितियों में यह सीमा पार की जा सकती है — जैसा कि तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हुआ है, मध्य प्रदेश सरकार आज इस बात का पक्ष रखेगी कि राज्य की सामाजिक संरचना और जनसंख्या आंकड़े ऐसी विशेष परिस्थितियां पैदा करते हैं.