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NEET UG 2025 पर MP हाईकोर्ट में अनोखी सुनवाई: एक घंटे अंधेरे में चला केस, फैसला सुरक्षित

NEET UG Exam 2025
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NEET UG Exam 2025:24 जून2025: NEET-UG 2025 को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सोमवार को एक ऐतिहासिक और अनोखी सुनवाई हुई, इस दौरान अदालत कक्ष में एक घंटे तक अंधेरा रखा गया ताकि यह परखा जा सके कि क्या परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने से छात्रों को वास्तव में दिक्कत हुई थी या नहीं.

NEET-UG को लेकर कुल 90 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें मुख्य मुद्दा 4 मई को इंदौर में आयोजित परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने और पर्याप्त वैकल्पिक व्यवस्था न होने को लेकर था, परीक्षार्थियों के वकील मृदुल भटनागर ने दलील दी कि परीक्षा के दौरान तेज बारिश, हवाएं और घटाटोप बादलों के कारण केंद्रों में प्राकृतिक रोशनी भी नहीं थी, जिससे कई छात्र-छात्राओं को ओएमआर शीट भरने और प्रश्न पढ़ने में भारी दिक्कत हुई.

NEET UG Exam 2025: एक घंटे तक सुनवाई अंधेरे में चली

इस पर सुनवाई कर रहे जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने फैसला लिया कि अदालत में भी कुछ समय के लिए बिजली बंद कर दी जाए, ताकि स्थिति का वास्तविक अनुभव लिया जा सके, इसके बाद कोर्ट रूम की सभी लाइट्स बंद कर दी गईं और एक घंटे तक सुनवाई अंधेरे में चली.

प्राकृतिक रोशनी पर बहस, कोर्ट में वीडियो पेश

केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि बिजली गुल होने के बाद भी पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी मौजूद थी और परीक्षा बाधित नहीं हुई, हालांकि, छात्रों की ओर से अदालत में उस दिन की परिस्थितियों को दिखाने के लिए वीडियो साक्ष्य भी पेश किए गए, इन वीडियो में साफ दिख रहा था कि परीक्षा कक्षों में रोशनी बेहद कम थी.

NEET UG Exam 2025: अब सिर्फ 75 छात्रों पर विचार

गौरतलब है कि मई में याचिका दायर होने के बाद हाईकोर्ट ने NEET-UG परीक्षा परिणामों पर अंतरिम रोक लगाई थी, बाद में यह रोक सिर्फ 11 केंद्रों तक सीमित कर दी गई, 9 जून को आदेश में संशोधन करते हुए कोर्ट ने केवल 75 याचिकाकर्ता छात्रों के परिणाम रोकने का निर्देश दिया, जबकि बाकी सभी का रिजल्ट 14 जुलाई को घोषित कर दिया गया, अब अदालत का ध्यान सिर्फ उन्हीं 75 छात्रों के परिणाम पर केंद्रित है, जिनका दावा है कि बिजली और रोशनी की कमी ने उनकी परीक्षा को प्रभावित किया.

NEET UG Exam 2025: अब फैसले का इंतज़ार

करीब एक घंटे तक चली अंधेरे में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि कोर्ट छात्रों की दलीलों को कितना महत्व देता है और उनका रिजल्ट जारी करने या परीक्षा दोबारा कराने को लेकर क्या आदेश जारी करता है.

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