Sitaare Zameen Par: 21 जून 2025: आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’ आखिरकार सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है और दर्शकों में इसे लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है, लंबे समय बाद बड़े पर्दे पर वापसी कर रहे आमिर इस बार एक भावनात्मक और प्रेरणादायक कहानी के साथ लौटे हैं, जो न सिर्फ रुलाती है बल्कि जिंदगी को देखने का नया नजरिया भी देती है, फिल्म को साल 2009 की हिट फिल्म ‘तारे ज़मीन पर’ का दूसरा भाग माना जा रहा है, हालांकि इसकी कहानी स्पेनिश फिल्म ‘चैंपियंस’ की हिंदी रीमेक भी कही जा रही है.
Sitaare Zameen Par: कहानी में क्या है खास?
फिल्म की कहानी गुलशन अरोड़ा नामक एक असिस्टेंट बास्केटबॉल कोच के इर्द-गिर्द घूमती है, एक मैच के दौरान वह अपने सीनियर को थप्पड़ मार देता है, जिससे उसकी नौकरी चली जाती है, इसके बाद वह नशे में पुलिस की वैन से टकरा जाता है और मामला कोर्ट तक पहुंचता है, सजा के तौर पर गुलशन को 90 दिन तक मानसिक रूप से असक्षम बच्चों को बास्केटबॉल कोचिंग देने का आदेश मिलता है.
यहां से फिल्म का असली सफर शुरू होता है, शुरू में गुलशन इन बच्चों को केवल एक सज़ा के तौर पर लेता है, लेकिन धीरे-धीरे उसके भीतर बदलाव आने लगता है और वह इन बच्चों के साथ जुड़ने लगता है.
Sitaare Zameen Par: पहले हाफ में उलझन, दूसरे में उम्मीद
फिल्म का पहला हाफ दर्शकों को थोड़ा कंफ्यूज कर सकता है, गुलशन और उसकी पत्नी सुनीता (जेनेलिया डिसूज़ा) के बीच रिश्तों की तल्खी और पारिवारिक टकराव से कहानी भटकती सी लगती है, लेकिन जैसे ही फिल्म दूसरे हाफ में प्रवेश करती है, वैसे ही यह अपने असली भाव पर लौट आती है.
दूसरे हिस्से में फिल्म एक शानदार ट्रांजिशन के साथ
समाज, समावेशिता और आत्म-स्वीकृति जैसे गहरे मुद्दों को बेहद संवेदनशीलता से उठाती है, बच्चों के साथ गुलशन का संबंध दर्शकों के दिल को छूता है और कई बार आंखें नम कर देता है.
अभिनय और निर्देशन की मजबूती
आमिर खान एक बार फिर साबित करते हैं कि क्यों उन्हें परफेक्शनिस्ट कहा जाता है, उन्होंने गुलशन के किरदार को पूरी ईमानदारी के साथ जिया है, वहीं जेनेलिया डिसूज़ा भी एक संवेदनशील पत्नी के रोल में प्रभावित करती हैं. फिल्म के निर्देशक ने एक भावनात्मक लेकिन जटिल विषय को प्रभावी ढंग से पेश किया है, तकनीकी रूप से भी फिल्म सशक्त है—चाहे वो सिनेमैटोग्राफी हो या बैकग्राउंड स्कोर.