Seoni News: 27 मई : जब मीडिया ने राजस्व मंत्री करण सिंह से सिवनी में हुए इस बड़े सर्पदंश मुआवजा घोटाले पर सवाल किए, तो उनका पहला जवाब चौंकाने वाला था – “मुझे इस घोटाले की कोई जानकारी नहीं है.” यह बयान उस विभाग की कार्यशैली पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाता है, जिसके वे मुखिया हैं. 11 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला, जिसमें वित्त और कोष विभाग की जांच, सहायक सचिव की गिरफ्तारी और IFMS जैसी डिजिटल प्रणालियों की विफलता शामिल है, ऐसे में मंत्री का ‘अनजान’ बनना हैरान करने वाला है. स्थानीय लोगों ने मंत्री के इस तरह के व्यवहार पर चिंता जताई है.
Seoni News: बेमन से आश्वासन, कलेक्टर ने दी जानकारी
मंत्री की इस ‘अनभिज्ञता’ को देखते हुए मौके पर मौजूद सिवनी कलेक्टर ने उन्हें पूरे घोटाले की जानकारी दी. कलेक्टर ने बताया कि कैसे फर्जी दस्तावेज, जाली मृत्यु प्रमाण पत्र और निजी खातों में सरकारी राशि का ट्रांसफर करके यह घोटाला अंजाम दिया गया. उन्होंने खुलासा किया कि कैसे द्वारिका बाई नाम की एक महिला को 29 बार और श्रीराम नाम के एक व्यक्ति को 28 बार मृत दिखाकर मुआवजे की राशि हड़पी गई. इन आंकड़ों को सुनकर भी मंत्री की प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं थी. सूत्रों के अनुसार, कलेक्टर द्वारा जानकारी दिए जाने के बाद राजस्व मंत्री ने कार्रवाई का आश्वासन तो दिया, लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज और प्रतिक्रिया से साफ जाहिर हो रहा था कि वे इस गंभीर मुद्दे को अपेक्षित गंभीरता से लेने को तैयार नहीं हैं. यह रवैया उन वास्तविक पीड़ितों के साथ खिलवाड़ है, जिन्हें प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद समय पर मुआवजा नहीं मिल पाता.
Seoni News: जनता का दर्द और अनसुनी दास्तान
इस घोटाले ने उन परिवारों के दर्द को और गहरा कर दिया है, जिन्हें वास्तविक सर्पदंश या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद सालों-साल मुआवजे के लिए भटकना पड़ता है. सरकारी रिकॉर्ड में जब एक व्यक्ति को 29 बार मरा दिखाया जा सकता है और करोड़ों का मुआवजा निकाला जा सकता है, तो वहीं दूसरी ओर ऐसे परिवार हैं, जिनके अपनों ने वास्तव में सर्पदंश से जान गंवाई है, लेकिन उन्हें आज तक एक पैसा भी मुआवजा नहीं मिला.
पीड़ित परिवारों का दर्द
सिवनी जिले के एक गांव की रामकली बाई (बदला हुआ नाम) बताती हैं, “मेरे पति को दो साल पहले सांप ने काट लिया था. हमने बहुत कोशिश की, लेकिन उन्हें बचा नहीं पाए. मुआवजा के लिए दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते चप्पलें घिस गईं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आज जब सुनते हैं कि करोड़ों का घोटाला हो गया, तो दिल टूट जाता है. हमारा दर्द कौन समझेगा?”
IFMS जैसी डिजिटल प्रणाली पर भी सवाल
यह घोटाला IFMS (Integrated Financial Management System) जैसी आधुनिक डिजिटल प्रणाली की विफलता पर भी सवाल उठाता है, जिसे पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था. जब एक डिजिटल प्रणाली में भी इतनी बड़ी सेंध लगाई जा सकती है, तो यह स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं और इसमें प्रशासनिक स्तर पर बड़ी मिलीभगत रही है.
जिम्मेदार अधिकारी बेदाग क्यों?
सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि जिस समय यह घोटाला हुआ, उस समय राजस्व और संबंधित विभागों के शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारी अब तक बेदाग क्यों घूम रहे हैं? निचले स्तर के कर्मचारियों पर गाज गिरने से क्या पूरी समस्या का समाधान हो जाएगा? जब करोड़ों की ठगी हुई है, तो उन सभी अधिकारियों पर भी सरकारी शिकंजा कसना चाहिए, जिनकी देखरेख में यह सब हुआ. केवल छोटे मोहरों पर कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि बड़े मगरमच्छ अभी भी पकड़ से बाहर हैं. यह सर्पदंश मुआवजा घोटाला केवल वित्तीय अनियमितता का मामला नहीं है, बल्कि यह उन परिवारों के विश्वास का भी हनन है जो आपदा की घड़ी में सरकार से मदद की उम्मीद करते हैं. राजस्व मंत्री की प्रारंभिक अनभिज्ञता और उसके बाद का बेमन से आश्वासन इस गंभीर स्थिति को और भी चिंताजनक बना देता है.