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MP Police New Order: अब सांसद-विधायकों को सैल्यूट करेगी पुलिस, कांग्रेस ने किया विरोध

MP Police New Order
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भोपाल, 26 अप्रैल 2025: MP Police New Order – मध्यप्रदेश पुलिस के लिए नया फरमान आ गया है। अब पुलिस अफसरों को सांसदों और विधायकों को सैल्यूट करना होगा। ये आदेश खुद राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कैलाश मकवाना ने 24 अप्रैल को जारी किया। इतना ही नहीं, अगर कोई सांसद-विधायक मिलने आए, तो पुलिस वालों को उनकी बात सबसे पहले सुननी होगी और उनकी शिकायतों का हल निकालना होगा।

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MP Police New Order – डीजीपी बोले- जनप्रतिनिधियों के साथ रहे पूरा शिष्टाचार

डीजीपी कैलाश मकवाना ने साफ कहा है, “सांसदों-विधायकों के साथ शिष्टाचार में कोई चूक नहीं होनी चाहिए। उनके खतों का जवाब समय पर और दस्तखत के साथ देना होगा। अगर वो दफ्तर में मिलने आएं, तो सबसे पहले उनकी बात सुनो और उनकी समस्याओं का कानूनी तरीके से हल निकालो।”
उन्होंने ये भी हिदायत दी कि अगर कोई जनप्रतिनिधि फोन पर बात करे, तो पुलिस वालों को पूरी तवज्जो के साथ उनकी बात सुननी होगी और जवाब भी बड़े अदब से देना होगा।

डीजीपी ने अपने इस आदेश में पहले के 8 सर्कुलरों का जिक्र किया है। ये सर्कुलर 23 जनवरी 2004, 18 मई 2007, 22 मार्च 2011, 24 अक्टूबर 2017, 19 जुलाई 2019, 11 दिसंबर 2019, 12 नवंबर 2021 और 4 अप्रैल 2022 को जारी हुए थे। इनमें सांसदों-विधायकों के सम्मान को लेकर कई दिशा-निर्देश दिए गए थे।

चार महीने पहले ही बंद हुई थी सलामी की परंपरा

अभी चार महीने पहले ही, जब पूर्व डीजीपी सुधीर सक्सेना रिटायर होने वाले थे, तब स्पेशल डीजी शैलेष सिंह ने एक सर्कुलर निकाला था। उसमें 2007 के एक पुराने आदेश का हवाला देते हुए कहा गया था कि अब मुख्यमंत्री, मंत्रियों या पुलिस अफसरों को सलामी परेड नहीं दी जाएगी। सलामी सिर्फ राज्यपाल को मिलेगी। इस वजह से सुधीर सक्सेना की विदाई बिना सलामी परेड के हुई थी।

कांग्रेस को आदेश पर ऐतराज, जीतू पटवारी ने साधा निशाना

इस नए आदेश पर कांग्रेस ने तीखी आपत्ति जताई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे पुलिस का हौसला पस्त करने वाला कदम करार दिया। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “पुलिस को जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल का ध्यान रखने को कहें, लेकिन सत्ता के दंभ में पुलिस का मनोबल तोड़ना गलत है। ये आदेश पुलिस की आजादी पर सवाल उठाता है।”
पटवारी ने ये भी कहा कि ऐसा लगता है जैसे इस आदेश से पुलिस को अपने असल काम से भटकाने की कोशिश हो रही है।इस नए नियम के बाद पुलिस और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल कैसा रहेगा, ये तो वक्त ही बताएगा। डीजीपी का कहना है कि ये सब शिष्टाचार बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, लेकिन कांग्रेस इसे सत्ता का दुरुपयोग बता रही है।

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