youtuber Jyoti Malhotra spying case:19 मई: यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के हनी ट्रैप वाली साजिश को एक बार फिर बेनकाब कर दिया है. ISISI ने पाकिस्तान में कई ट्रेनिंग सेंटर खोल रखे हैं, जहां पर एजेंट्स को हनी ट्रैप का जाल बिछाने की ट्रेनिंग दी जाती है. रावलपिंडी के अलावा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कराची और हैदराबाद में भी महिलाओं को हनी ट्रैप की ट्रेनिंग देती है.पाकिस्तान में ISI की खास यूनिवर्सिटी में दी जाती है हनी ट्रैप की ट्रेनिंग जासूसी के आरोप अब इस बात को लेकर किसी को भी शक नहीं है कि भारतीय सेना से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए आईएसआई हनी ट्रैप को हमेशा से भारत के खिलाफ एक बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल करती आई है.
भावनात्मक जाल का किया जाता है इस्तेमाल
रावलपिंडी की फातिमा जिन्ना वीमेन यूनिवर्सिटी में महिलाओं को हनी ट्रैप की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है. हनी ट्रैप एक ऐसी तकनीक है, जिसमें आकर्षण और भावनात्मक जाल का इस्तेमाल कर गोपनीय जानकारी हासिल की जाती है. हनी ट्रैप का इस्तेमाल जासूसी और खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए भी किया जाता है.इन ट्रेनिंग सेंटर में पाकिस्तान के रावलपिंडी में स्थित फातिमा जिन्ना वीमेन यूनिवर्सिटी (FJWU) का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है.
youtuber Jyoti Malhotra spying case: इन सेंटर्स में कुछ इस तरह सिखाया जाता है हनी ट्रैप
इन ट्रेनिंग सेंटर में पाकिस्तान के रावलपिंडी में स्थित फातिमा जिन्ना वीमेन यूनिवर्सिटी (FJWU) का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है. आपको बता दें कि पाकिस्तानी सेना का हेडक्वाटर भी रावलपिंडी में ही है. रिपोट्स के अनुसार, रावलपिंडी की फातिमा जिन्ना वीमेन यूनिवर्सिटी में महिलाओं को हनी ट्रैप की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है. हनी ट्रैप एक ऐसी तकनीक है, जिसमें आकर्षण और भावनात्मक जाल काइस्तेमाल कर गोपनीय जानकारी हासिल की जाती है. हनी ट्रैप का इस्तेमाल जासूसी और खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए भी किया जाता है.
पहला स्टेज: संपर्क और भरोसा जीतना
इस चरण में जाल बिछाने वाले फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाते हैं. ये प्रोफाइल ज्यादातर आकर्षक महिलाओं या पुरुषों के होते हैं, जो देखने में विश्वसनीय लगते हैं. वे लिंक्डइन, फेसबुक, इंस्टाग्राम या डेटिंग ऐप्स जैसे टिंडर का इस्तेमाल करते हैं. शिकार को दोस्ताना या पेशेवर मैसेज भेजकर बातचीत शुरू की जाती है. इस चरण का मकसद शिकार का विश्वास हासिल करना होता है.
दूसरा स्टेज: भावनात्मक रिश्ता बनाना
जब शिकार जवाब देता है, तो बातचीत को निजी और गहरा बनाया जाता है. जाल बिछाने वाले शिकार की भावनाओं के साथ खेलते हैं. इसमें वीडियो कॉल्स, अंतरंग बातचीत या तस्वीरों का आदान-प्रदान शामिल हो सकता है. इस तरह की बातचीत शिकार को भावनात्मक रूप से कमजोर करती है और उसे लगता है कि वह किसी खास रिश्ते में है. इस चरण में शिकार धीरे-धीरे जाल में फंसता चला जाता है.
तीसरा तीसरा: ब्लैकमेलिंग
जैसे ही जाल बिछाने वालों को शिकार की निजी चैट्स, तस्वीरें या वीडियो मिल जाते हैं, ब्लैकमेलिंग शुरू हो जाती है. शिकार को धमकी दी जाती है कि अगर उसने गोपनीय जानकारी या पैसे नहीं दिए, तो उसकी निजी बातें सार्वजनिक कर दी जाएंगी. डर और शर्मिंदगी के कारण शिकार वह सब करने को मजबूर हो जाता है, जो उसे बताया जाता है. कई बार उनसे ऐसी संवेदनशील जानकारी मांगी जाती है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है. अपनी इज्जत बचाने की चाह में शिकार इस जाल में और गहराई तक फंस जाता है.