भोपाल, 26 अप्रैल 2025: संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल अभी भी जारी रही हैं, यह हड़ताल संविदा नीति 2023 के लाभ की मांग के लिए की जा रही हैं। संविदा नीति 2023 को लागू करने की मांग को लेकर प्रदेश के संविदा कर्मचारी ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को अपने खून से लेटर लिखा। यह घटना वाकई में संविदा कर्मचारियों के गहरे आक्रोश और भावनात्मक संघर्ष को दर्शाती है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के कर्मचारियों का यह आरोप गंभीर है कि संविदा नीति 2023 का लाभ उन्हें जमीनी स्तर पर नहीं मिल रहा, जबकि सरकार की तरफ से इसे लागू करने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। कर्मचारियों का आक्रोश उस वक्त और तेज हो गया जब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की ओर से उन पर कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए। इससे नाराज होकर कर्मचारियों ने राजयोग मंदिर परिसर में एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन किया।
हड़ताल की शुरुआत : 22 अप्रैल 2025 से मध्यप्रदेश के 32,000 एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की, जिसमें मुरैना के 632 कर्मचारी शामिल हुए।
कर्मचारियों का कहना है कि, संविदानीति के तहत मिलने वाली नई सुविधाएं अब तक लागू नहीं की गईं ओर पहले से मिल रही सुविधाएं भी कम कर दी गईं हैं। यह न सिर्फ सरकारी आदेशों की अनदेखी है, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं के भी खिलाफ है, जिनमें नियमितीकरण और बेहतर सेवा शर्तों का वादा किया गया था। इस स्थिति से कर्मचारियों में यह भावना गहराई है कि उनके साथ भेदभाव और वादा खिलाफी हो रही है।
स्वास्थ्य कर्मियों कि कहाँ-कहाँ हुई हड़ताल
संविदा स्वास्थ्यकर्मीयों कि हड़ताल भोपाल, राजगढ़, मुरैना और मंदसौर मे हुई यहां संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने अलग अलग तरीकों से विरोध प्रदर्शन किया।
- 22 अप्रैल: मंदिरों में पूजा, भगवान को ज्ञापन, भारतीय मजदूर संघ के झंडे लगाए गए।
- 23 अप्रैल: ‘वादा निभाओ सरकार’ अभियान, मुख्यमंत्री को पोस्टकार्ड, शिवराज सिंह चौहान की घोषणाओं के वीडियो प्रदर्शन।
- 24 अप्रैल: सुंदरकांड पाठ का आयोजन, जनजागरण की कोशिश।
- 25 अप्रैल: विश्व मलेरिया दिवस पर बैतूल में मच्छरदानी लगाकर विरोध, एनएचएम एमडी के आदेश की होली जलाई।
यह है प्रमुख मांगे
- विभाग में रिक्त पदों पर संविलियन किया जाकर, नियमित किया जाए।
- पूर्व से दी जा रही सुविधाओं में ई. एल. एवं मेडिकल को पृथक कर दिया है।
- अनुबंध प्रथा को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया गया है।
- अप्रेजल जैसी कुरीति को यथावत रखा गया है।
- सेवा निवृत्ति की आयु में 65 वर्ष से घटाकर 62 वर्ष किया गया है।
- एन.पी.एस., ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य बीमा एवं डी.ए. की सुविधा से वंचित रखा गया है।
- शासन द्वारा समकक्षता (वेतन विसंगति) का निर्धारण गलत तरीके से किया गया है, जिसमें पुनः विचार कर संशोधन किया जावें।
- निष्कासित सपोर्ट स्टॉफ एवं मलेरिया एमपीडब्ल्यू की एनएचएम में वापसी
जोरदार नारेबाजी और विरोध के बीच यह साफ दिखा कि कर्मचारियों में असंतोष गहराता जा रहा है। मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रखने का ऐलान, 28 अप्रैल को भोपाल में बड़ा प्रदर्शन किया जा सकता हैं।