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यूक्रेनी ड्रोन हमले ने रूस के भीतर हजारों किलोमीटर अंदर मचाई हलचल

Russia Ukraine War
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Russia Ukraine War, 02 मई 2025: तीन साल से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में जहां अब तक यूक्रेनी शहरों पर बमबारी और रूस की सैन्य घुसपैठ सुर्खियों में रही है, वहीं बीते रविवार यूक्रेन ने एक अभूतपूर्व जवाबी कार्रवाई करते हुए रूस के भीतर गहरे प्रवेश कर रणनीति और युद्धशैली दोनों को नया मोड़ दे दिया।

यूक्रेन की इस सैन्य कार्रवाई में पांच अलग-अलग रूसी एयरबेस पर ड्रोन के माध्यम से हमला किया गया, जिसमें 40 से अधिक बमवर्षक विमान नष्ट होने का दावा किया गया है। बताया जा रहा है कि इस हमले से रूस को लगभग 7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।

‘स्पाइडर्स वेब’: डेढ़ साल की योजना का नतीजा

यूक्रेन की इस ऑपरेशन को कोडनेम ‘स्पाइडर्स वेब’ दिया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, इसकी योजना पर करीब 18 महीने तक काम किया गया। इस दौरान विशेष तरह के फर्स्ट-पर्सन व्यू (FPV) ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जिन्हें ट्रकों में बने लकड़ी के केबिन में छिपाकर रूस के अंदर भेजा गया। हमले के वक्त इन ट्रकों की छतें रिमोट से खोली गईं और ड्रोन सीधे लक्षित विमानों की ओर रवाना हुए।

Russia Ukraine War: रूस के गढ़ में गहराई तक घुसपैठ

हमले की एक बड़ी खासियत यह रही कि यूक्रेन ने उन विमानों को निशाना बनाया जिन्हें रूस ने विशेष रूप से यूक्रेन की पहुंच से बाहर रखने के लिए लगभग 4000 किमी दूर स्थित एयरबेस में रखा था। पूर्वी साइबेरिया के इरकुत्स्क प्रांत जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में भी यूक्रेनी ड्रोन देखे गए, जहां स्थानीय लोगों ने ट्रकों से उड़ते छोटे क्वाडकॉप्टर और बाद में हुए धमाकों की तस्वीरें साझा कीं।

इस बार यूक्रेन ने पहले से बिल्कुल अलग तरीका अपनाया। बीते हमलों की तुलना में यह एक दिन के उजाले में किया गया हमला था जिसमें छोटे, लेकिन सटीक निशाना साधने वाले ड्रोन इस्तेमाल हुए। ये ड्रोन पारंपरिक युद्ध के मुकाबले कहीं अधिक लो-प्रोफाइल और तकनीकी रूप से उन्नत थे।

जानकारों का मानना है कि यह हमला आधुनिक युद्ध नीति में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है, जिसमें सीमाएं अब स्पष्ट नहीं रहीं और लड़ाई का केंद्र केवल फ्रंटलाइन तक सीमित नहीं रहा।

रूसी नेटवर्क से जुड़कर भेजा लाइव फुटेज

एफपीवी ड्रोन में लगे कैमरों ने रूस के ही मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल कर ऑपरेशन के लाइव फुटेज यूक्रेन स्थित ऑपरेटर्स तक पहुंचाए। बाद में यही वीडियो क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हुए। माना जा रहा है कि ट्रकों के ड्राइवरों तक को इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे किस मिशन का हिस्सा हैं।

रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो यह ऑपरेशन 2022 में केर्च ब्रिज पर हुए हमले की तरह ही गहराई से प्लान किया गया था। ऐसे हमलों से यह साफ है कि आधुनिक युद्ध अब पारंपरिक सीमाओं और तकनीकों से आगे बढ़ चुका है। अमेरिकी विशेषज्ञ ब्रायन शुगार्ट पहले ही अपने विश्लेषण में आगाह कर चुके हैं कि प्रमुख विमानों और एयरबेस को ऐसे हमलों से बचाने के लिए सुदृढ़ हार्ड शेल्टर की आवश्यकता है।

इस हमले ने भारत सहित अन्य देशों के लिए भी स्पष्ट संकेत छोड़े हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में अब ड्रोन वारफेयर को प्राथमिकता पर रखने की जरूरत है।

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