Police Constable Recruitment Exam Scam: 11 मई 2025: मध्यप्रदेश की पुलिस भर्ती परीक्षा में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है, दिल्ली में बैठे मास्टरमाइंड ने हाईटेक तरीके से यूपी-बिहार के फर्जी परीक्षार्थियों को असली उम्मीदवारों की जगह परीक्षा दिलवाकर लाखों रुपए वसूले,अब तक इस फर्जीवाड़े में 12 आरोपी पकड़े जा चुके हैं और पुलिस नेटवर्क की परतें लगातार खोल रही है.
Police Constable Recruitment Exam Scam: कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
यह मामला तब सामने आया, जब मुरैना की SAF (5वीं बटालियन) में दस्तावेज सत्यापन के दौरान कुछ अभ्यर्थियों के आधार कार्ड में फिंगरप्रिंट बदलाव संदिग्ध पाए गए, गहराई से जांच की गई तो सामने आया कि असली उम्मीदवार ने परीक्षा दी ही नहीं थी, उसकी जगह बिहार और उत्तर प्रदेश से आए नकली परीक्षार्थियों ने टेस्ट दिया था। इसके एवज में हर उम्मीदवार से करीब 8 लाख रुपए वसूले गए.
आधार कार्ड का खेल दिल्ली से हुआ
उसने क्लोन आधार अपडेशन ID का इस्तेमाल कर सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठकर उंगलियों के निशान (फिंगरप्रिंट) बदल दिए, पूरे रैकेट की कमान दिल्ली में बैठे मास्टरमाइंड के हाथ में थी,पहले असली उम्मीदवार के फिंगरप्रिंट स्कैन किए गए, फिर नकली परीक्षार्थियों के फिंगरप्रिंट अपडेट कर परीक्षा दिलवाई गई, बाद में दोबारा असली उम्मीदवार के फिंगरप्रिंट जोड़ दिए गए.
फर्जीवाड़े का पहला केस: हरिओम रावत
श्योपुर जिले के हरिओम रावत को सबसे पहले पकड़ा गया, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान उसके आधार में संदिग्ध अपडेट पाए गए, जांच में खुलासा हुआ कि उसने 8 लाख रुपए में डील की थी, एक दलाल ने उसे मेरठ निवासी फर्जी परीक्षार्थी के जरिए एग्जाम पास कराने का भरोसा दिया था.
Police Constable Recruitment Exam Scam: पुलिस को साइबर तकनीक से चकमा
सीएसपी दीपाली चंदोरिया के अनुसार, यह पूरा रैकेट तकनीकी रूप से बेहद मजबूत है, आधार अपडेट करने वाली असली ID का क्लोन तैयार कर उसे दिल्ली से ऑपरेट किया गया, ताकि असली गुनहगार ट्रेस न हो सके, पुलिस को अब सबसे बड़ी चुनौती दो साल पुराने कॉल रिकॉर्ड्स और डिजिटल डेटा तक पहुंचने की है, क्योंकि अधिकांश टेलीकॉम कंपनियों के पास एक साल से पुराना डेटा नहीं होता.
पुलिस को क्यों नहीं मिला मास्टरमाइंड?
अब तक की जांच में सामने आया है कि गिरोह के सदस्य बेहद सतर्क थे, फर्जी परीक्षार्थियों को कभी असली अभ्यर्थियों से मिलाया ही नहीं गया, यह इसलिए किया गया ताकि कोई गड़बड़ी होने पर मूल उम्मीदवार ही पकड़ में आए और मास्टरमाइंड तक पुलिस न पहुंच सके.