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10 महीने से खुले आसमान के नीचे रह रही बुजुर्ग महिला, PM आवास योजना का लाभ अब तक अधर में

PM Housing Scheme
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PM Housing Scheme: 8 जुलाई 2025: सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत एक बार फिर उजागर हुई है, धार जिले के लोहारी गांव में एक बुजुर्ग महिला गौरा बाई, अपनी विधवा बहू और दो छोटे बच्चों के साथ बीते 10 महीनों से खुले आसमान के नीचे, एक पेड़ की छांव में रहने को मजबूर हैं.

PM Housing Scheme: मदद सिर्फ आश्वासन के रूप में

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पात्र होने के बावजूद इस परिवार को अब तक कोई पक्का आश्रय नहीं मिल सका है, गौरा बाई का कच्चा मकान ढह जाने के बाद से वे लगातार ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक चक्कर काट रही हैं, लेकिन मदद अब तक सिर्फ आश्वासन के रूप में मिली है.

PM Housing Scheme: विधवा बहू के जॉब कार्ड में अड़चन

परिवार की स्थिति बद से बदतर इसलिए हुई क्योंकि गौरा बाई की विधवा बहू राधाबाई के जॉब कार्ड में तकनीकी गड़बड़ी सामने आई है,ग्राम सरपंच अमर सिंह वास्केल के अनुसार, “राधाबाई का जॉब कार्ड पंचायत स्तर पर ठीक नहीं हो सकता, इसे जिला स्तर से दुरुस्त कर योजना का लाभ दिया जाएगा, तब तक अस्थाई आवास की व्यवस्था की जा रही है.

सूची में नाम है, लेकिन प्रक्रिया में देरी

मामले में यह बात भी सामने आई है कि गौरा बाई के परिवार का नाम पीएम आवास योजना की सूची में दर्ज है, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है, स्थानीय प्रशासन के अनुसार, पहले उनका परिवार संयुक्त था, और बड़े बेटे को योजना का लाभ मिल चुका है, अब परिवार अलग हो चुका है, लेकिन नए सिरे से अनुमोदन की प्रक्रिया धीमी चल रही है.

PM Housing Scheme: अस्थाई राहत दी जाए

जिला पंचायत सीईओ अभिषेक चौधरी ने इस मामले पर कहा, “गौरा बाई के बड़े बेटे को पहले आवास मिला था, अब विधवा बहू राधाबाई का नाम डुप्लीकेट जॉब कार्ड के कारण अटका हुआ है, वे स्वयं मकान बनाने का प्रयास कर रही हैं, चौधरी ने आगे कहा कि संबंधित ग्राम पंचायत को निर्देश दिए गए हैं कि जब तक स्थायी समाधान नहीं मिलता, तब तक परिवार को रिक्त शासकीय भवन या किसी आश्रय स्थल में शिफ्ट किया जाए.

PM Housing Scheme: सरकारी संवेदनहीनता उजागर

सरकार द्वारा गरीबों को छत देने के बड़े-बड़े दावों के बीच यह मामला प्रशासनिक उदासीनता और योजनाओं के क्रियान्वयन में ढिलाई की एक बानगी बनकर सामने आया है, पेड़ के नीचे रहने को मजबूर एक बुजुर्ग महिला और उसकी विधवा बहू का संघर्ष यह सवाल उठाता है कि क्या सच में योजनाओं का लाभ ज़रूरतमंदों तक पहुंच रहा है?

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