तो, ये नेशनल हेराल्ड केस है क्या?
नेशनल हेराल्ड केस: सुनने में तो ये किसी पुराने अखबार की कहानी लगती है, लेकिन असल में ये भारतीय राजनीति का एक बड़ा ड्रामा है! नेशनल हेराल्ड एक अंग्रेजी अखबार था, जिसे 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने शुरू किया था। इसे असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) चलाता था, जिसके पास दिल्ली, मुंबई, लखनऊ में करीब 2000 करोड़ की कीमती जमीनें और इमारतें थीं। 2008 में पैसे की तंगी से अखबार बंद हो गया। फिर 2010 में यंग इंडियन (YI) नाम की एक कंपनी बनी, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी थी। अब यहीं से कहानी में ट्विस्ट आता है!
YI ने AJL की सारी संपत्तियां सिर्फ 50 लाख रुपये में खरीद लीं, जबकि उनकी कीमत हजारों करोड़ थी। ये सौदा कथित तौर पर 90.25 करोड़ के ब्याज-मुक्त लोन के बदले हुआ, जो कांग्रेस पार्टी ने AJL को दिया था। बस, यहीं से बीजेपी को मौका मिल गया और उन्होंने इसे घोटाला करार दे दिया।
कैसे शुरू हुआ ये हंगामा?
2012 में बीजेपी नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की एक अदालत में शिकायत ठोक दी। उन्होंने सोनिया, राहुल, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा पर धोखाधड़ी, साजिश और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए। स्वामी का कहना था कि ये लोन अवैध था, क्योंकि राजनीतिक दल ऐसे लोन नहीं दे सकते। साथ ही, इतनी कीमती संपत्तियां इतने सस्ते में खरीदना साफ-साफ घपला है।
नेशनल हेराल्ड केस: ED ने क्या-क्या किया?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में कोई कसर नहीं छोड़ी।
- 2019-2020: गुरुग्राम और मुंबई में 80 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियां कुर्क कीं।
- 2023: 751.9 करोड़ की संपत्तियां, जिसमें दिल्ली का मशहूर हेराल्ड हाउस भी शामिल है, अस्थायी तौर पर कुर्क की गईं।
- 2024: PMLA अथॉरिटी ने इन संपत्तियों की कुर्की को हरी झंडी दे दी।
- 15 अप्रैल 2025: ED ने सोनिया, राहुल और सैम पित्रोदा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग के लिए 7 साल तक की सजा की मांग की गई।
13 अप्रैल 2025 को ED ने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ के प्रॉपर्टी रजिस्ट्रारों को नोटिस भेजकर AJL की संपत्तियों पर कब्जा शुरू किया। ये सब देखकर लगता है कि ED गांधी परिवार को कोई राहत देने के मूड में नहीं है!
इस केस ने राजनीतिक हलकों में आग लगा दी है। कांग्रेस इसे बीजेपी की “वेंडेटा पॉलिटिक्स” बता रही है। राहुल गांधी ने तो साफ कह दिया, “मैं नरेंद्र मोदी या ED से नहीं डरता!” कांग्रेस का दावा है कि YI एक गैर-लाभकारी कंपनी थी, जिसका मकसद सिर्फ अखबार को फिर से शुरू करना था। लेकिन बीजेपी कहां मानने वाली! केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “ये धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का खुला मामला है।” 18 अप्रैल 2025 को बीजेपी ने कांग्रेस को चुनौती दी कि अगर वो बेगुनाह हैं, तो तेजी से मुकदमा चलवाएं।
कानूनी जंग का हाल
2014 में दिल्ली की एक अदालत ने सोनिया, राहुल और बाकी आरोपियों को समन भेजा। 2015 में सबको जमानत मिल गई। तब से ये मामला कोर्ट में लटका हुआ है। मार्च 2025 में दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वामी और गांधी परिवार को अपनी दलीलें लिखित में जमा करने को कहा। अगली सुनवाई अक्टूबर 2025 में होगी। यानी, अभी तो ये ड्रामा और चलेगा!
नेशनल हेराल्ड केस सिर्फ कानूनी मसला नहीं, बल्कि राजनीतिक जंग का मैदान बन चुका है। ED की चार्जशीट और कोर्ट के फैसले इसकी दिशा तय करेंगे। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये वाकई भ्रष्टाचार का पर्दाफाश है, या फिर विपक्ष को निशाना बनाने की चाल? आप क्या सोचते हैं? कमेंट में बताइए!
प्रमुख घटनाक्रम
तारीख | घटनाक्रम | विवरण |
1938 | नेशनल हेराल्ड की स्थापना | जवाहरलाल नेहरू द्वारा, AJL द्वारा प्रकाशित। |
2008 | अखबार बंद | वित्तीय नुकसान के कारण। |