IAS Niyaz Khan, भोपाल, 17 जून 2025: मध्यप्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और लोक निर्माण विभाग में उप सचिव नियाज खान एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्होंने अरब देशों और भारत के मुसलमानों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर विवादास्पद टिप्पणियां की हैं।
खान ने मंगलवार सुबह किए गए ट्वीट में अरब देशों की जीवनशैली और भारतीय मुसलमानों के संबंध पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, “भौतिक सुख और विलासिता में डूबे अरबी हमारे नहीं हैं। यहां के हिंदू हमारे हैं क्योंकि हम सब यहीं से निकले हैं। अरब के लोगों को केवल धन से मतलब है, भारत के मुसलमानों से उन्हें कोई लेना-देना नहीं।”
उन्होंने आगे लिखा कि भारत को अरब नहीं बनने दिया जाएगा और यहां के मुसलमानों को भारतीय संस्कृति का सम्मान करना सीखना चाहिए।
IAS Niyaz Khan: अरब पहनावे पर भी जताई नाराज़गी
एक अन्य ट्वीट में खान ने अरब संस्कृति और पहनावे को लेकर भी टिप्पणी की। उन्होंने लिखा, “इस्लाम अरब के लोगों ने फैलाया और परिणामस्वरूप भारत के तीन टुकड़े हो गए। भविष्य में अरब संस्कृति को भारत में घुसने नहीं दिया जाएगा। आज भी कुछ जगहों पर लंबा कपड़ा और सिर पर रिंग वाला कपड़ा पहनने वाले दिखाई देते हैं। ऐसे लोग ये पहनना बंद करें।”
बीते दिनों भी किए थे विवादास्पद ट्वीट
15 जून को खान ने बिना किसी का नाम लिए ट्वीट किया था, “कई बार लोग अपनी विचारधारा छिपा कर रखते हैं। दिखाते कुछ और हैं, होते कुछ और हैं। पर देर-सबेर सत्य सामने आ ही जाता है।”
इसी दिन एक अन्य ट्वीट में उन्होंने पश्चिमी देशों पर निशाना साधते हुए लिखा, “पश्चिमी देशों ने एशियाई, अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी अश्वेत देशों को गुलाम बनाया। आज भी पर्दे के पीछे से खेल खेल रहे हैं। श्वेत नस्ल भरोसेमंद नहीं है।”
12 जून को किए गए एक ट्वीट में खान ने भारत के आध्यात्मिक विकास के लिए चारों शंकराचार्यों को सर्वोच्च सम्मान देने की बात कही थी। उन्होंने लिखा, “देश को आध्यात्मिक रूप से विकसित करना है तो शंकराचार्यों का सम्मान जरूरी है। इनके खिलाफ कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं होनी चाहिए।”
साहित्यकार के रूप में भी सक्रिय
IAS Niyaz Khan सिर्फ अफसर ही नहीं, बल्कि लेखक भी हैं। हाल ही में उन्होंने अपना पहला नॉवेला प्रकाशित किया है। इससे पहले भी वे विभिन्न सामाजिक और संवेदनशील मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहे हैं।
आईएएस अधिकारी के इन बयानों पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई लोगों ने उनके विचारों को सराहते हुए ‘राष्ट्रवादी सोच’ बताया, तो कईयों ने इसे विभाजनकारी और समुदाय विशेष को लक्षित करने वाला करार दिया है।
हालांकि, अब तक मध्यप्रदेश सरकार या प्रशासन की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।