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कथावाचक मुकुट मणि के दो आधार, दो नाम और छेड़खानी के आरोप ने मचाया बवाल

Etawah Kathavachak Mukut Mani
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Etawah Kathavachak Mukut Mani: 25जून 2025: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दांदरपुर गांव में भागवत कथा के आयोजन के दौरान कथावाचक मुकुट मणि यादव को लेकर शुरू हुआ विवाद अब जातीय राजनीति और फर्जीवाड़े के गंभीर आरोपों तक पहुंच गया है, कथावाचक पर न केवल अपनी पहचान छिपाने का आरोप लगा है, बल्कि गांव की एक महिला ने उनके खिलाफ छेड़खानी की शिकायत भी दर्ज कराई है, इस पूरे प्रकरण ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है.

दो आधार कार्ड, एक चेहरा, दो नाम

मुकुट मणि यादव के दो अलग-अलग आधार कार्ड सामने आने के बाद मामला और भी संदेहास्पद हो गया है, दोनों कार्डों में एक ही फोटो और आधार संख्या दर्ज है, लेकिन नाम अलग-अलग हैं, एक में नाम मुकत सिंह’, जबकि दूसरे में मुकट मणि अग्निहोत्री’ लिखा हुआ है, इस खुलासे के बाद कथावाचक की जाति को लेकर विवाद और तेज हो गया है, जांच एजेंसियां इस फर्जीवाड़े की तह तक जाने में जुट गई हैं.

Etawah Kathavachak Mukut Mani: महिला से छेड़खानी का आरोप

गांव की रेनू तिवारी नामक महिला ने कथावाचक पर छेड़खानी का आरोप लगाया है, महिला का कहना है कि कथा के पहले दिन भोजन के दौरान कथावाचक ने उनकी उंगली पकड़कर बदतमीजी की, जब उनके पति जयप्रकाश तिवारी ने इसका विरोध किया तो कथावाचक ने खुद को समाजवादी पार्टी का करीबी बताते हुए धमकाया, तिवारी दंपत्ति का कहना है कि उसी समय उन्हें पता चला कि कथावाचक ब्राह्मण नहीं, यादव हैं.

ब्राह्मण महासभा का विरोध

ब्राह्मण समाज महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण दुबे ने कथावाचक पर फर्जी दस्तावेजों से खुद को ब्राह्मण साबित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह समाज को गुमराह करने का प्रयास है, दुबे ने महिला से छेड़खानी के आरोपों की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है, उन्होंने कहा, “जातीय पहचान के साथ खिलवाड़ कर कथा वाचक समाज की भावनाओं से खेल रहे हैं.

Etawah Kathavachak Mukut Mani: अखिलेश यादव ने किया सम्मानित

वहीं इस पूरे मामले में समाजवादी पार्टी खुलकर कथावाचकों के पक्ष में आ गई है, पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने लखनऊ में कथावाचकों को सम्मानित करते हुए उन्हें इटावा कथावाचन पीड़ित” बताया, अखिलेश यादव ने कहा,“जब सब लोग कथा सुन सकते हैं, तो सब लोग कथा कह क्यों नहीं सकते? अगर सच्चे कृष्ण भक्तों को ही कथा कहने से रोका जाएगा तो यह धर्म का अपमान है, उन्होंने आगे आरोप लगाया कि कुछ लोग कथावाचन पर वर्चस्व कायम रखना चाहते हैं और यही मानसिकता इस विवाद की जड़ है.

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