Caste Census 2027, नई दिल्ली, 16 जून 2025: देश में पहली बार आजादी के बाद जातिगत जनगणना का रास्ता साफ हो गया है। गृह मंत्रालय ने सोमवार को इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी। सरकार ने इसे दो चरणों में करने का फैसला लिया है।
पहले चरण की शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से होगी, जिसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे चार पहाड़ी राज्यों को शामिल किया गया है। बाकी राज्यों में जनगणना 1 मार्च 2027 से शुरू की जाएगी।
यह ऐलान ऐसे समय आया है, जब जातिगत जनगणना को लेकर देश की राजनीति गरमाई हुई है और विपक्ष लगातार केंद्र पर दबाव बना रहा है। सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को जातिगत जनगणना कराने की घोषणा की थी।
गौरतलब है कि भारत में 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जाति आधारित जनगणना (SECC) जरूर कराई गई थी, लेकिन इसके जातिगत आंकड़े आज तक सार्वजनिक नहीं हुए। उस समय इसे ग्राम विकास, शहरी विकास और गृह मंत्रालय की साझेदारी में कराया गया था।
उस सर्वेक्षण से SC और ST वर्ग के आंकड़े ही ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी किए गए थे। OBC और अन्य जातियों के आंकड़े अब तक अज्ञात हैं।
Caste Census 2027: जनगणना की प्रक्रिया में होगा बड़ा बदलाव
अब तक की जनगणना में 29 कॉलम होते थे, जिसमें केवल SC और ST से संबंधित जानकारी दर्ज होती थी। लेकिन अब OBC समेत सभी जातियों को दर्ज करने के लिए जनगणना अधिनियम 1948 में संशोधन करना होगा।
सरकार के मुताबिक, भारत में OBC की करीब 2,650 जातियां, SC की 1,270 जातियां और ST की 748 जातियां हैं। 2011 की जनगणना में SC की जनसंख्या 16.6% और ST की 8.6% दर्ज की गई थी।
आज़ादी के बाद जातिगत जनगणना क्यों नहीं हुई?
ब्रिटिश शासन में 1881 से 1931 तक हर जनगणना में जातियों की गिनती होती थी। 1941 में भी गिनती हुई, लेकिन आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं हुए।
आज़ाद भारत की पहली कैबिनेट जिसमें नेहरू, पटेल, अंबेडकर और मौलाना आज़ाद जैसे नेता थे, उन्होंने फैसला लिया कि जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी, क्योंकि इससे सामाजिक विभाजन बढ़ सकता है।
हालांकि, SC/ST की गिनती को संविधानिक आरक्षण के चलते जारी रखा गया
Caste Census 2027: राहुल गांधी ने बनाई थी जमीन
Caste Census 2027– कांग्रेस नेता राहुल गांधी 2023 से जातिगत जनगणना की मांग को लेकर मुखर रहे हैं। राहुल ने कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और झारखंड समेत कई मंचों से इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने यहां तक कहा कि जातिगत जनगणना उनका मिशन है और इसके लिए वे राजनीतिक कीमत चुकाने को तैयार हैं।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि आज जो पार्टी जातिगत जनगणना की बात कर रही है, उसी ने दशकों तक इसका विरोध किया।
उन्होंने बताया कि 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व में मंत्रियों का एक समूह गठित किया गया था, लेकिन फिर भी जाति का डेटा जुटाने या सार्वजनिक करने का कोई फैसला नहीं लिया गया।