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5 साल बाद भी लागू नहीं हुआ 27% OBC आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

MP OBC Reservation
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MP OBC Reservation: 4 july2025: मध्यप्रदेश में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है, कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह हलफनामा दाखिल कर बताएं कि राज्य में जो 13% पद होल्ड पर हैं, उनमें नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है.

यह मामला शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की बेंच नंबर 12 में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, मामला सीरियल नंबर 35 पर सूचीबद्ध था.

51% आबादी को सिर्फ 13.66% आरक्षण

ओबीसी महासभा की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में कहा कि मध्यप्रदेश में ओबीसी की आबादी 51% है, लेकिन सरकारी नौकरियों में उन्हें महज 13.66% आरक्षण मिल रहा है, ऐसे में 27% आरक्षण जरूरी है, अधिवक्ता ने कहा कि 27% आरक्षण का कानून पारित हो चुका है, लेकिन सरकार उसे लागू करने से पीछे हट रही है.

MP OBC Reservation: 2019 में बना कानून, अब तक नहीं हुआ लागू

राज्य सरकार ने 2019 में ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का कानून पारित किया था, लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी इसे लागू नहीं किया गया है, सरकार 2019 के मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के एक अंतरिम आदेश का हवाला देकर आरक्षण देने से बच रही है, जबकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस एक्ट पर कोई रोक नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट में इंदिरा साहनी केस का जिक्र

इससे पहले 25 जून की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी केस का हवाला देते हुए पूछा था कि क्या आरक्षण की सीमा 50% से अधिक हो सकती है, वकील ने जवाब में कहा किमध्यप्रदेश में ओबीसी की संख्या 51% है, इसलिए यह आरक्षण जायज़ है और कानूनन लागू किया जा सकता है.

MP OBC Reservation: नियुक्तियों पर रोक क्यों?

ओबीसी महासभा की कोर कमेटी के सदस्य एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाह ने बताया कि कोर्ट ने सरकार से स्पष्ट तौर पर पूछा है कि 13% होल्ड पदों पर नियुक्तियां क्यों रुकी हुई हैं, महासभा की ओर से यह भी मांग की गई कि अंतिम निर्णय आने तक 27% आरक्षण को अंतरिम रूप से लागू किया जाए ताकि अनावश्यक देरी रोकी जा सके.

सॉलिसिटर जनरल ने जताई आपत्ति

सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने इस मांग का विरोध किया और अंतरिम आरक्षण लागू करने की सहमति नहीं दी, उन्होंने जल्दी सुनवाई की मांग का भी विरोध किया। मामले में अब आगे की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट नई तारीख तय करेगा.

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