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उधार चुकाने की कीमत बेटी की जिंदगी! सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

baal vivaah
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baal vivaah: 20 मई 2025: बिहार में एक दिल दहला देने वाले बाल विवाह मामले ने देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है, 16 साल की एक नाबालिग लड़की को उसके मां-बाप ने उधारी के बदले 33 साल के ठेकेदार से ब्याह दिया, लड़की ने अब सुप्रीम कोर्ट से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है, मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने न केवल बिहार और दिल्ली की सरकारों को नोटिस भेजा है, बल्कि दोनों राज्यों की पुलिस को लड़की और उसके दोस्त को सुरक्षा देने का भी आदेश दिया है.

baal vivaah: क्या है पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका के अनुसार, बिहार के एक गरीब परिवार ने एक ठेकेदार से उधार पैसा लिया था, जब पैसे चुकाने की बारी आई, तो परिवार ने अपनी 16 साल की नाबालिग बेटी की शादी उस 33 साल के ठेकेदार से कर दी, यह शादी 9 दिसंबर को हुई, जब लड़की की 10वीं की बोर्ड परीक्षा नज़दीक थी.

baal vivaah: पढ़ाई का सपना तोड़ा गया

लड़की पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन ससुराल वालों ने उसे इसकी इजाज़त नहीं दी, याचिका के मुताबिक, लड़की को उसके ससुराल में मारपीट का सामना करना पड़ा, पति उसे जबरन शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करता और मना करने पर बेरहमी से पीटता था.

 31 मार्च को भागी लड़की, अपहरण का मुकदमा

जनवरी में भारी मानसिक तनाव के बाद लड़की को उसके मामा बोर्ड परीक्षा देने के लिए ससुराल से मायके ले आए, तमाम मुश्किलों के बावजूद लड़की ने परीक्षा पास की, लेकिन जब ससुराल वालों ने वापस भेजने का दबाव डाला, तो उसने एक दोस्त से मदद मांगी, 31 मार्च को वह घर से भाग गई और दोस्त के साथ वाराणसी चली गई.

इसके बाद लड़की के परिवार ने उसके दोस्त, उसके माता-पिता और मामा पर अपहरण का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कर दी, लड़की ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उसका दोस्त और उसका परिवार सिर्फ उसकी मदद कर रहे थे, उन्हें झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है.

 baal vivaah: सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि लड़की और उसके दोस्त को तत्काल सुरक्षा दी जाए, साथ ही, बिहार और दिल्ली सरकारों को निर्देश दिया गया है कि वे इस मामले में 15 जुलाई तक स्टेटस रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपें.

सरकारी मशीनरी पर सवाल

लड़की ने यह भी आरोप लगाया है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई, राज्य की पुलिस और प्रशासन उसकी रक्षा करने में पूरी तरह विफल रहे हैं.

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