भोपाल, 25 अप्रैल 2025: मध्यप्रदेश सरकार ने धार्मिक भावनाओं का हवाला देकर 19 पवित्र नगरों में शराब की बिक्री पर रोक लगाई थी। लेकिन यह निर्णय ज़मीनी स्तर पर महज़ एक दिखावा बनकर रह गया है। शराबबंदी लागू हुए अभी 15 दिन भी नहीं बीते हैं और धार्मिक नगरी दतिया और ओरछा में शराब की खुलेआम बिक्री शुरू हो चुकी है।
शराबबंदी का ढोंग : ओरछा – चाय की दुकानों से लेकर गलियों तक बिकी शराब
राम राजा मंदिर की नगरी ओरछा में शराबबंदी का कोई असर नहीं दिखता। बस स्टैंड के पास चाय की दुकानों पर बीयर की कैन कागज़ में लपेटकर दी जा रही है। स्थानीयों के अनुसार, “पहचान वालों को तो शराब आसानी से मिल जाती है, लेकिन अजनबी ग्राहक भी मोलभाव करके ले जाते हैं।”
गलियों में हालात और भी बदतर हैं। दोपहर के समय एक महिला अपने घर के बाहर बैठकर बीयर बेचती पाई गई। गोंदरई रोड पर तो एक 12-13 साल का बच्चा कच्ची शराब पॉलीथिन में पैक कर 30 रुपये में बेच रहा था, जो न सिर्फ कानूनन अपराध है, बल्कि सेहत के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है।
दतिया: धार्मिक आस्था के केंद्र में शराब का अवैध कारोबार
मां पीतांबरा पीठ की नगरी दतिया में भी स्थिति चिंताजनक है। बस स्टैंड के पास एक रेस्टोरेंट में दुकानदार पहले तो मना करता है, लेकिन ग्राहक के हाव-भाव पहचानते ही 280 रुपये में शराब देने को तैयार हो जाता है—वो भी QR कोड से पेमेंट लेकर।
पंडाजी की पनिया क्षेत्र की गलियों में उत्तर प्रदेश की रसभरी ब्रांड की देसी शराब टेट्रा पैक में बेची जा रही है, जिसकी MRP 55 रुपये है, लेकिन वहां 150 रुपये वसूले जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस इलाके में शराब का धंधा लंबे समय से चल रहा है, शराबबंदी का इस पर कोई असर नहीं पड़ा।
उमंग सिंघार का सरकार पर हमला
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने हाल ही में दतिया दौरे के दौरान इस पूरे मुद्दे को जनता से सुना और इसे सोशल मीडिया पर उठाया।
उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“सरकार का शराबबंदी का आदेश हुआ फेल, धार्मिक नगरी में नशे का कारोबार बेलगाम! दतिया और ओरछा जैसे पवित्र स्थलों पर हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि चाय की दुकानों से लेकर रेस्टोरेंट तक में शराब खुलेआम बिक रही है—यहां तक कि मासूम बच्चों के हाथों में भी अब नशे का सामान देखा जा रहा है। क्या यही है आपकी धार्मिक आस्था? क्या यही है सुशासन का असली चेहरा?”
साथ ही, उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया जिसमें यह देखा जा सकता है कि किस तरह गलियों में फल बेचने वालों के बीच शराब की बिक्री धड़ल्ले से चल रही है।
मध्यप्रदेश सरकार का धार्मिक नगरियों में शराबबंदी का दावा कागज़ों तक सिमट कर रह गया है। दतिया और ओरछा में ज़मीनी हकीकत बेहद डरावनी है। अवैध शराब का धंधा खुलेआम फल-फूल रहा है, और उसमें बच्चों की भागीदारी स्थिति को और भी शर्मनाक बनाती है। सवाल ये है कि क्या सरकार सिर्फ आदेश जारी करने तक ही सीमित रहेगी या हकीकत में भी कोई सख्त कार्रवाई होगी?
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