भोपाल, 24 अप्रैल 2025: मध्य प्रदेश में गेहूं खरीदी और खाद्यान्न वितरण को पारदर्शी बनाने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाने की योजना बनाई है। बुधवार को मंत्रालय में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों को गेहूं खरीदी प्रक्रिया को 5 मई तक पूरा करने और राशन वितरण को त्रुटिरहित बनाने के निर्देश दिए।
MP में गेहूं खरीदी 2025 QR कोड और CCTV से निगरानी
बैठक में बताया गया कि खाद्यान्न की बोरियों और वेयरहाउस में QR कोड लगाए जाएंगे। साथ ही, वेयरहाउस में CCTV कैमरे भी स्थापित किए जाएंगे। खाद्यान्न वितरण, उचित मूल्य दुकानों और स्टॉकिंग की निगरानी के लिए भोपाल में एक कंट्रोल कमांड सेंटर स्थापित किया जा रहा है। इन कदमों का मकसद हेराफेरी रोकना और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है।
MP में गेहूं खरीदी और भुगतान की समयसीमा
मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहूं खरीदी में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और किसानों को समय पर भुगतान किया जाए। स्लॉट बुकिंग की अंतिम तारीख 30 अप्रैल है, और 5 मई तक सभी बुकिंग वाले किसानों से गेहूं खरीदने का काम पूरा करना होगा। प्रदेश में गेहूं की खरीदी 2,600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रही है, जिसमें 175 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस शामिल है।
अन्य योजनाएं
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मध्य प्रदेश में 1 करोड़ 31 लाख 34 हजार परिवारों को 29 पात्रता श्रेणियों में राशन वितरित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने सभी राशन कार्डधारकों की ई-केवाईसी जल्द पूरी करने के निर्देश दिए, ताकि पात्र हितग्राहियों को राशन मिलने में कोई दिक्कत न हो। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी पात्र व्यक्ति राशन से वंचित नहीं रहना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने मक्का, कोदो-कुटकी जैसे श्रीअन्न को स्व-सहायता समूहों और उचित मूल्य दुकानों के जरिए बेचने की बात कही, ताकि इनकी मांग बढ़े और किसानों को फायदा हो। इसके अलावा, उज्जवला योजना की सब्सिडी और घरेलू गैस पाइपलाइन जैसी योजनाओं को तेजी से लागू करने के निर्देश दिए गए।
कंट्रोल सेंटर की भूमिका
भोपाल में बनने वाला कंट्रोल कमांड सेंटर खाद्यान्न वितरण और स्टॉकिंग की रियल-टाइम निगरानी करेगा। यह सेंटर उचित मूल्य दुकानों पर नजर रखने और खाद्यान्न प्रबंधन को और प्रभावी बनाने में मदद करेगा।
मध्य प्रदेश में गेहूं खरीदी और राशन वितरण की प्रक्रिया को तकनीक के जरिए मजबूत करने की कोशिश हो रही है, लेकिन इन योजनाओं का असर जमीन पर कितना दिखेगा, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।