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धान की नीलामी पर ब्रेक– हाईकोर्ट ने पूछा, पहले गिनती क्यों नहीं हुई?

धान की नीलामी पर ब्रेक
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भोपाल, 24 अप्रैल 2025: धान की नीलामी पर ब्रेक – ग्वालियर के सिद्धेश्वरी वेयरहाउस में रखी 32,683 क्विंटल धान को लेकर चल रहे विवाद पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि वेयरहाउस में रखी धान का तत्काल भौतिक सत्यापन किया जाए, क्योंकि यह धान किसानों की मेहनत का नतीजा है और इसी से उनका भुगतान संभव होगा। साथ ही, इस धान के आधार पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से लिया गया 7.25 करोड़ का लोन भी आम आदमी के धन से जुड़ा है। कोर्ट ने दोनों पक्षों के हितों की रक्षा पर जोर दिया।

धान की नीलामी पर ब्रेक क्या है मामला?

मै. दुर्गादेवी ट्रेडिंग कंपनी ने किसानों से मंडी में धान खरीदी, लेकिन भुगतान नहीं किया। कंपनी ने इस धान को वेयरहाउस में जमा कर 54,400 बोरियों में भरवाया और वेयरहाउस रसीद के आधार पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से 7.25 करोड़ रुपये का लोन हासिल कर लिया। अब विवाद इस बात पर है कि धान की नीलामी से किसानों का भुगतान हो या बैंक का लोन सुरक्षित किया जाए।

हाईकोर्ट का सख्त रुख

कोर्ट ने भौतिक सत्यापन में देरी पर नाराजगी जताई। डेढ़ दिन में 20 मजदूर सिर्फ 2,100 बोरियां ही गिन पाए। कोर्ट ने कलेक्टर को 100 मजदूरों की व्यवस्था कर 15 दिन में सत्यापन पूरा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कृषि उपज मंडी, लश्कर के सचिव आलोक कुमार वर्मा के उस दावे पर भी सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने कहा था कि बोरियों की गिनती चंद घंटों में हो गई थी। कोर्ट ने मंडी द्वारा पेश जप्तीनामा को फर्जी करार दिया, क्योंकि उसमें वेयरहाउस का नाम तक नहीं था।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की स्थिति भी संदेह के घेरे में है। कोर्ट ने बैंक द्वारा पेश फोटो को भ्रामक बताया और सवाल किया कि बिना ठोस सत्यापन के इतना बड़ा लोन कैसे दिया गया। कोर्ट ने कलेक्टर रुचिका चौहान को वेयरहाउस की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 9 मई को होगी।

नीलामी पर रोक

कृषि उपज मंडी, लश्कर ने किसानों के भुगतान के लिए धान की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि धान की रसीदें उनके पास गिरवी हैं और नीलामी से बैंक को नुकसान होगा। इस पर कोर्ट ने नीलामी पर अस्थायी रोक लगा दी।
हाईकोर्ट ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को धान की बोरियों के सत्यापन से जुड़ी सभी रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही, यह भी स्पष्ट करने को कहा कि बोरियों की गिनती चंद घंटों में कैसे संभव हुई। कोर्ट ने साफ किया कि किसानों और बैंक, दोनों के हितों का संतुलन जरूरी है।

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