50 years of emergency: 24 जून 2025: देश में लगाए गए आपातकाल को इस साल 50 साल पूरे हो रहे हैं। 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित किए गए आपातकाल को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस आमने-सामने हैं। एक ओर जहां बीजेपी इसे ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मना रही है, वहीं कांग्रेस ‘संविधान की रक्षा’ के लिए ग्वालियर में सत्याग्रह करेगी.
50 years of emergency: आपातकाल के अध्याय के 50 वर्ष
बीजेपी हर साल 25 जून को आपातकाल की बरसी को ‘संविधान हत्या दिवस’ के तौर पर मनाती है। इस साल इसे लेकर खास तैयारी की गई है। मध्य प्रदेश के सभी जिलों में पार्टी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगी, जिनमें राष्ट्रीय और स्थानीय नेता भाग लेंगे। इन आयोजनों की थीम ‘आपातकाल के अध्याय के 50 वर्ष’ रखी गई है.
आपातकाल पर आधारित चित्र प्रदर्शनी
भोपाल में आयोजित प्रमुख कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल मुख्य वक्ता होंगे। इसके अलावा अलग-अलग शहरों में भी वरिष्ठ नेता भाग लेंगे, इन कार्यक्रमों में आपातकाल पर आधारित चित्र प्रदर्शनी लगाई जाएगी और उस दौर की घटनाओं को आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा, साथ ही आपातकाल के दौरान जेल में रहे लोगों को ‘मीसाबंदी’ के रूप में सम्मानित किया जाएगा.
50 years of emergency: ग्वालियर में ‘संविधान सत्याग्रह’
बीजेपी के कार्यक्रमों के जवाब में कांग्रेस 25 जून को ग्वालियर में संविधान सत्याग्रह करेगी, यह आंदोलन मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने की मांग के समर्थन में होगा, कांग्रेस नेता सूर्य नमस्कार तिराहा पर उपवास सत्याग्रह करेंगे.
क्या था आपातकाल?
25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत ‘आंतरिक गड़बड़ी’ का हवाला देकर देश में आपातकाल लागू किया था।, राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, इस दौरान नागरिक स्वतंत्रता, प्रेस की आज़ादी और राजनीतिक विरोध को कठोरता से दबाया गया, हजारों लोगों को जेल में डाला गया और मीडिया पर कड़ी सेंसरशिप लागू की गई
50 years of emergency: राजनीतिक संग्राम का नया दौर
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ को लेकर देश में फिर से वैचारिक और राजनीतिक बहस तेज हो गई है, बीजेपी इसे इतिहास की सबसे काली रात के रूप में याद दिला रही है, वहीं कांग्रेस इसे सत्ता द्वारा इतिहास के पुनर्लेखन की कोशिश बता रही है.
25 जून को मध्य प्रदेश एक बार फिर देश की राजनीति के केंद्र में होगा—जहां एक ओर ‘संविधान की हत्या’ की कथा सुनाई जाएगी, तो दूसरी ओर ‘संविधान की रक्षा’ का संकल्प लिया जाएगा.