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आख़िर क्या हैं 1960 की सिंधु जल संधि और 1972 का शिमला समझौता? आइए जानते हैं इनके बारे में

सिंधु जल संधि
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हाल ही में देश के मिनी स्विट्जरलैंड कहे जाने वाले पहलगाम की बैसारन घाटी में मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया है। इस हमले में आतंकियों द्वारा 28 लोगों की हत्या कर दी गई, वहीं कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस हमले के बाद देश में रोष का माहौल है, और भारत सरकार भी एक्शन मोड में नजर आ रही है। इसके साथ ही पाकिस्तान की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं

सिंधु जल संधि

हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त फैसले लिए हैं, जिनमें सबसे अहम 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना है। जवाब में पाकिस्तान ने भी 1972 के शिमला समझौते को रद्द करने की घोषणा कर दी है।

क्या है 1960 की सिंधु जल संधि ?

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुई एक ऐतिहासिक जल बंटवारा संधि है, जिसे विश्व बैंक की मध्यस्थता में तैयार किया गया था।

इस संधि के तहत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों — सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज — का जल बंटवारा किया गया:

  • भारत को पूर्वी नदियों — रावी, ब्यास और सतलुज — के जल पर पूर्ण अधिकार मिला।
  • पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों — सिंधु, झेलम और चिनाब — का प्राथमिक उपयोग का अधिकार दिया गया।
  • भारत को पश्चिमी नदियों का सीमित उपयोग (जैसे कृषि और जलविद्युत उत्पादन) करने की अनुमति दी गई।

 इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे।
 इस पर बातचीत करीब 9 वर्षों तक चली थी।

 सिंधु जल संधि के प्रमुख बिंदु:

  • उद्देश्य: दोनों देशों के बीच जल विवाद से बचना।
  • नदी बंटवारा: पूर्वी नदियाँ भारत को, पश्चिमी नदियाँ पाकिस्तान को।
  • भारत का उपयोग: भारत अपने हिस्से की नदियों का बिना रोक-टोक इस्तेमाल कर सकता है।
  • ताज़ा अपडेट: 23 अप्रैल 2025 को भारत ने इस संधि को निलंबित करने की घोषणा की।

क्या है 1972 का शिमला समझौता, जिसे पाकिस्तान ने किया रद्द?

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद 02 जुलाई 1972 को हिमाचल प्रदेश के शिमला में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला समझौते पर हस्ताक्षर हुए।

इस युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार हुई थी, और भारत के हस्तक्षेप के बाद पूर्वी पाकिस्तान अलग होकर बांग्लादेश बन गया था।

 शिमला समझौते के प्रमुख बिंदु:

  • यह एक शांति संधि थी, जिसका उद्देश्य भविष्य में भारत-पाक संबंधों को सामान्य बनाना था।
  • संधि की शर्तें:
    • भारत-पाक विवादों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार सुलझाया जाएगा।
    • हर विवाद को शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय वार्ता से सुलझाने का प्रयास होगा।
    • दोनों देश एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।
    • आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

इस समझौते पर शिमला के बॉर्न्स कोर्ट (राजभवन) में हस्ताक्षर हुए थे।

वर्तमान हालातों को देखते हुए, भारत और पाकिस्तान के बीच हुए ये दोनों ऐतिहासिक समझौते फिर से चर्चा में आ गए हैं। जहां एक तरफ भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर सख्त संदेश दिया है, वहीं पाकिस्तान ने भी शिमला समझौते को रद्द कर अपने तेवर दिखाए हैं। आने वाले समय में इन फैसलों का क्षेत्रीय शांति पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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