भोपाल, 26 अप्रैल 2025: मध्यप्रदेश के जबलपुर मे नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की एक एम्बुलेंस का दिल दहला देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो ने मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है. एम्बुलेंस में सवारी बस की तरह 10-12 मरीजों को ठूंसकर, भीषण गर्मी में 10 किलोमीटर दूर निजी डायग्नोस्टिक सेंटर ले जाया गया. आइए जानते हैं इस शर्मनाक घटना की पूरी कहानी.
एम्बुलेंस या सवारी बस?
वायरल वीडियो में दिख रही गाड़ी को देखकर कोई भी इसे सवारी बस समझ सकता है, लेकिन यह एक एम्बुलेंस है. इसमें कैंसर, टीबी और गंभीर श्वास रोगों से पीड़ित मरीजों को बिना किसी सुरक्षा मानक के एक साथ ठूंस दिया गया. मरीजों को सीटी स्कैन और एमआरआई के लिए मेडिकल कॉलेज से निजी डायग्नोस्टिक सेंटर तक ले जाया गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई एक दिन की घटना नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की प्रथा बन चुकी है.
निजी सेंटर की मनमानी
वर्षों पहले मेडिकल कॉलेज परिसर में एक निजी कंपनी को सीटी स्कैन और एमआरआई सेवाओं की अनुमति दी गई थी. हाल ही में सरकार ने परिसर में सरकारी मशीनें लगाने का फैसला किया है, लेकिन इसमें छह महीने का समय लगेगा. तब तक मरीजों को निजी डायग्नोस्टिक सेंटर ले जाया जा रहा है. सेंटर को मरीजों को लाने-ले जाने की जिम्मेदारी दी गई है, और इसके लिए प्रति मरीज भुगतान भी किया जाता है. लेकिन ज़्यादा मुनाफे के चक्कर में सेंटर एक बार में 10-12 मरीजों को ठूंसकर लाता है, जिससे मरीजों को शारीरिक कष्ट और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
एम्बुलेंस में अलग-अलग बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को एक साथ बिठाया जा रहा है. बिना किसी सैनिटाइज़ेशन या सुरक्षा उपाय के यह प्रक्रिया न केवल मरीजों के लिए खतरनाक है, बल्कि एक मरीज से दूसरे में गंभीर संक्रमण फैलने का जोखिम भी पैदा करती है.
जिम्मेदारों का क्या कहना?
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने मामले की जांच और सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है. वहीं, डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक मुकुल गुरु का दावा है कि वे एक बार में केवल 3-4 मरीजों को ही लाते हैं और उनके साथ परिजन भी होते हैं. हालांकि, वायरल वीडियो उनके दावों की सच्चाई को साफ़ तौर पर नकार रहा है.