future of tribal children: 11july2025: बारिश आती है तो किताबें भीग जाती हैं, पढ़ाई नहीं हो पाती”—ये शब्द हैं सांगई गांव के एक मासूम छात्र के, जो बीते तीन वर्षों से अपने साथियों के साथ एक अस्थायी टपरे में बैठकर पढ़ाई कर रहा है, गुना जिले की बमोरी विधानसभा के आदिवासी बहुल इस गांव में शिक्षा की स्थिति बदहाल है, और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह गांव केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में आता है.
future of tribal children: सरकारी भवन जर्जर
पहले यहां एक सरकारी स्कूल भवन था, लेकिन उसकी हालत इतनी खराब हो गई कि बारिश में पानी भरने लगा, मजबूरी में गांव के लोगों और पंचायत ने मिलकर एक अस्थायी टपरा खड़ा कर दिया—जहां अब 40 से अधिक बच्चे किसी तरह से शिक्षा हासिल कर रहे हैं, बारिश में यह टपरा बच्चों के लिए मुसीबत बन जाता है, छत टपकती है, बच्चे और उनकी किताबें भीग जाती हैं, स्कूल बैग खराब हो जाते हैं, शिक्षा किसी ‘जुगाड़’ में तब्दील हो चुकी है.
future of tribal children: ‘संख्या आधारित फॉर्मूला’
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाला पक्ष जिला परियोजना समन्वयक (DPC) ऋषि शर्मा का बयान है, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार स्कूल भवन निर्माण और मरम्मत के लिए बजट छात्र संख्या के आधार पर देती है, चूंकि सांगई में छात्रों की संख्या कम है, इसलिए यह स्कूल प्राथमिकता सूची में नहीं आ पाया, गांववालों को यह तर्क गले नहीं उतरता, एक परिजन ने सवाल उठाया, “अगर बच्चे कम हैं तो क्या उनका भविष्य महत्वहीन हो गया? क्या शिक्षा अधिकार संख्या देखकर तय किया जाएगा.
सरकारी योजनाएं भी पहुंच से बाहर
सांगई गांव की हालत यह है कि यहां स्कूल छोड़ दें, तो कोई अन्य सरकारी भवन तक मौजूद नहीं है, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यहां सिर्फ तीन मकान बने हैं, जो गांव के सभी परिवारों के लिए नाकाफी हैं, मूलभूत सुविधाओं से वंचित इस गांव में शिक्षा का संघर्ष बच्चों के भविष्य को अंधेरे में धकेल रहा है.
future of tribal children: सिंधिया ने लिया संज्ञान
मीडिया में मामला सामने आने के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल से बात कर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही सांगई गांव के बच्चों को एक पक्का स्कूल भवन और बेहतर शैक्षिक माहौल मिल सकेगा.