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MP चुनाव आयोग का एक्शन: एक ही पते पर दर्ज सैकड़ों वोटरों की जांच शुरू

Voter list scam
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Voter list scam: 11july2025: मध्य प्रदेश में मतदाता सूची को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, राज्य निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश में 1696 ऐसे पते हैं, जहां 100 या उससे ज्यादा वोटर्स दर्ज हैं, कई पते तो ऐसे हैं जहां 50 से अधिक मतदाता एक ही घर में दर्ज हैं, सबसे ज्यादा संदिग्ध पते ग्वालियर, इंदौर और भोपाल जैसे शहरी क्षेत्रों में सामने आए हैं.

Voter list scam: कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा?

प्रदेश में आगामी उपचुनावों की तैयारियों के तहत राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची को अपडेट कर रहा था, इसी दौरान अनियमितताओं की आशंका को देखते हुए एमपी स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (MPSEDC) के सॉफ्टवेयर की मदद से मतदाता सूचियों का विश्लेषण किया गया, सॉफ़्टवेयर से डेटा का मिलान करने पर हजारों ऐसे पते सामने आए जहां असामान्य रूप से अधिक वोटर्स रजिस्टर्ड थे.

Voter list scam: चंबल संभाग में सबसे ज्यादा फर्जी पते

राज्य निर्वाचन आयोग ने इन संदिग्ध पतों को पांच श्रेणियों में बांटा है, रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा फर्जी पते चंबल संभाग में पाए गए हैं, नगर निगम, नगर पालिकाओं और पंचायत क्षेत्रों में एक ही मकान में 12 से अधिक मतदाता दर्ज पाए गए, इनमें से 917 पते शहरी निकाय क्षेत्रों में हैं जबकि बाकी ग्राम पंचायत क्षेत्रों में दर्ज किए गए हैं.

ग्वालियर बना फर्जी वोटरों का गढ़

निकाय क्षेत्रों में बात करें तो ग्वालियर नगर निगम में सबसे ज्यादा 16,426 संदिग्ध पते चिन्हित हुए हैं, इसके बाद इंदौर में 15,293 और भोपाल में 13,122 ऐसे पते सामने आए हैं, राजधानी भोपाल में 81 पते ऐसे हैं जहां 50 से अधिक मतदाता एक ही पते से जुड़े हुए हैं.

Voter list scam: नामों का होगा वेरिफिकेशन 

राज्य निर्वाचन आयोग ने इस पूरे मामले में सख्त रुख अपनाया है, आयोग के सचिव अभिषेक सिंह ने बताया कि संदेहास्पद पतों की पहचान कर ली गई है और अब इनका सत्यापन (वेरिफिकेशन) किया जा रहा है, सत्यापन के बाद फर्जी या अनावश्यक रूप से जोड़े गए नामों को मतदाता सूची से हटाया जाएगा.

चुनावी पारदर्शिता पर उठे सवाल

इस फर्जीवाड़े ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते इन नामों को नहीं हटाया गया, तो यह आने वाले उपचुनावों में बड़े स्तर पर धांधली का कारण बन सकते हैं.

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