नई दिल्ली, 26 अप्रैल 2025: India-Pakistan Water War Threat जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला लिया। इस फैसले से पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने भड़काऊ बयान देते हुए कहा, “सिंधु नदी में या तो हमारा पानी बहेगा, या उनका खून।” उन्होंने इसे पाकिस्तान का हक बताते हुए भारत के फैसले को एकतरफा और अस्वीकार्य करार दिया।
India-Pakistan Water War Threat – भारत का कड़ा रुख
22 अप्रैल को पहलगाम के पास बैसरन घाटी में आतंकियों ने 28 पर्यटकों की हत्या कर दी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। इस हमले में 10 से ज्यादा लोग घायल हुए। इसके जवाब में भारत ने पांच बड़े फैसले लिए, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना सबसे अहम था। भारत ने पाकिस्तान को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी और कहा कि अच्छे रिश्तों के बिना इस संधि को बनाए रखना संभव नहीं है।
सिंधु जल संधि: क्या है विवाद?
1960 में हुई सिंधु जल संधि के तहत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों—सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज—के पानी का बंटवारा हुआ था।
- भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का पूरा उपयोग करने का अधिकार मिला।
- पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का प्राथमिक अधिकार दिया गया, लेकिन भारत को इनका सीमित उपयोग (जैसे कृषि और बिजली उत्पादन) करने की अनुमति थी।
भारत का कहना है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के कारण यह संधि अब प्रासंगिक नहीं रही।
India-Pakistan Water War Threat पाकिस्तान का उग्र रवैया
पाकिस्तान ने भारत के इस फैसले को युद्ध की धमकी के रूप में लिया है। नेशनल सिक्योरिटी कमिटी (NSC) की बैठक के बाद पाकिस्तान ने कहा कि अगर नदियों का पानी रोका गया, तो इसे युद्ध का ऐलान माना जाएगा और इसका जवाब पूरी ताकत से दिया जाएगा। विदेश मंत्री इशाक डार ने भी कहा कि वे हर जरूरी कदम उठाएंगे।
बिलावल भुट्टो ने एक जनसभा में भारत पर निशाना साधते हुए कहा, “भारत अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए पहलगाम हमले का दोष पाकिस्तान पर मढ़ रहा है। सिंधु हमारी है और रहेगी।” उन्होंने पाकिस्तानी जनता से एकजुट होकर इस मुद्दे पर आवाज उठाने की अपील की।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का खुलासा
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में एक इंटरव्यू में आतंकवाद को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान पिछले तीन दशकों से अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए आतंकियों को पालने का “गंदा काम” करता रहा है। उन्होंने कहा, “यह हमारी गलती थी, और अब हम इसका खामियाजा भुगत रहे हैं।” हालांकि, उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा के अस्तित्व और TRF (द रेजिस्टेंस फ्रंट) की जानकारी से इनकार किया।
भारत का स्पष्ट संदेश
भारत ने जल शक्ति मंत्रालय के सचिव देबाश्री मुखर्जी के जरिए पाकिस्तान को पत्र लिखकर अपनी स्थिति स्पष्ट की। पत्र में कहा गया कि आतंकवाद और तनाव के माहौल में संधि को बनाए रखना असंभव है। भारत का कहना है कि वह अपने हक का पानी उपयोग करेगा और क्षेत्र में शांति के लिए पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने होंगे।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस विवाद पर नजर रखे हुए है। यह देखना बाकी है कि क्या यह मुद्दा कूटनीतिक स्तर पर सुलझेगा या क्षेत्र में और अस्थिरता पैदा करेगा।